________________ एवं सरीरमेत्तो आया सिद्धो ण याणुमित्तादी / जुगवं सव्वंसरीरे चेतण्णासंभवाओ य // 384 // करचरणादिसु जोगा न य अपदेसो त्ति होइ विन्नेओ / अपदेसम्मि य पावइ करचरणादीणमेगत्तं // 385 // जो चेव उ करदेसे स एव जं होति चरणदेसे वि / / तो एगत्तं भेदे सपदेसो णियमतो होइ // 386 // सो य असंखपएसो लोगागासप्पदेसतुल्लो त्ति / जइ एवं संकुडिओ थेवपएसेसु कह चिट्ठ (ठा) ति ? // 387 // जह खलु महापमाणो णेत्तपडो कोडितो णहग्गम्मि / तम्मि वि तावति ते च्चिय. फुसइ पएसे ण इय जीवो // 388 // देसे संपुन्नाणं अभावतो तस्स सुहमपरिणामा / ठंतेगम्मि वि बहवे बादरतो णेवं पडदव्वे // 389 // पगतमिदाणि भणिमो कयं पसंगेण तं पुण इमं तु / परिणामी खलु जीवो देहावत्थाण भेदाओ // 390 // एवं सुहादिजोगो न अनहा जुज्जए सती चेव / संसारो कम्मफलं मोक्खो य पसाहियमिदं च // 391 // पच्चक्खपसिद्धातो सयलव्ववहारमूलभूतातो / बझंतरभेदाओ अण्णयवइरेयभावातो // 392 // जह कंचणस्स कंचणभावेण अवट्टियस्सं कडगादी / उप्पज्जंति विणस्संति चेव भावा अणेगविहा // 393 // एवं जीवद्दव्वस्स दव्वपज्जवविसेसभइतस्स / निच्चत्तमणिच्चत्तं च होति नाओवलब्भंतं // 394 // कारणधम्माणं जइ णो कज्जे संकमो कहंचिदवि / / तो कह णु तस्स कज्जं तं तस्स च कारणं इतरं ? // 395 // 33