________________ नाशह / कम्मादि संकति तयं मक्खियमुदगादिणा उ जं जुत्तं / णिक्खित्तं सजियादो (दिइ) पिहियं तु फलादिणा ठइय।। 621 // मत्तगगयं अजोग्गं पुढवादिसु छोटु देइ साहरियं / दायग बालादीया अजोग्ग बीयादिउम्मीसं // 622 // अपरिणयं दव्वं चिय भावो वा दोहदाण एगस्स / लित्तं वसादिणा छड्डियं तु परिसाडणावं तं // 623 // एयद्दोसविसुद्धो जतीण पिंडो जिणेहिऽणुण्णाओ / सेसकिरियाठियाणं एसो पुण तत्तओ णेओ // 624 // संपत्ते इच्चाइसु सुत्तेसु णिदंसियं इमं पायं / जतिणो य एस पिंडो ण य अन्नह हंदि एयं तु // 625 // दोसपरिण्णाणं पि हु एत्थं उवओगसुद्धिमाईहिं / जायति तिविहणिमित्तं तत्थ तिहा. वण्णियं जेण // 626 // भिक्खासद्दो चेवं अणियतलाभविसउ त्ति एमादी / सव्वं चिय उववन्नं किरियावंतम्मि उ जतिम्मि // 627 // अण्णे भणंति समणादत्थं उद्देसियादिसंचाए। भिक्खाए अणडणं चिय विसेसओ सिट्ठगेहेसु // 628 // धम्मट्ठो आरंभो सिट्ठगिहत्थाण जमिह सव्वो वि / सिद्धो त्ति सेसभोयणवयणाओ तंतणीतीए // 629 // तम्हा विसेसओ चिय अकयातिगुणा जतीण भिक्ख त्ति / एयमिह जुत्तिजुत्तं संभवभावेण ण तु अन्नं // 630 // भण्णति विभिण्णविसयं देयं अहिगिच्च एत्थ विण्णेओ / उद्देसिगादिचाओ ण सो वि आरंभविसओ उ // 631 // संभवइ य एसो वि हु केसिंची सूयगादिभावे वि / / अविसेसुवलंभाओ तत्थ वि तह लाभसिद्धीओ // 632 // ૨પ૦