________________ सीसविसेसे णाउं सुत्तत्थाइ विहिणा व काऊणं / वक्खाणिज्ज चउद्धा सुत्तपयत्थाईभेएणं // 859 // पयवक्कमहावकत्थमेदंपज्जं च एत्थ चत्तारि / सुयभावावगमम्मी हंदि पगारा विणिद्दिट्ठा // 860 // संपुण्णेहिं जायइ सुयभावावगमो इहरहा उ / होइ विवज्जासो वि हु अणि?फलओ य सो णियमा // 861 // एएसिं च सरूवं अण्णेहि वि वण्णियं इहं णवरं / सत्तुग्गहणट्ठद्धाणभट्ठतण्णाणणाएण // 862 // दट्ठण पुरिसमेत्तं दूरे णो तस्स पंथ पुच्छत्थं / जुज्जइ सहसा गमणं कयाइ सत्तू तओ होज्जा // 863 // वेसविवज्जासम्मि वि एवं बालाइएहिं तं णाउं / तत्तो जुज्जइ गमणं इट्ठफलत्थं णिमित्तेण // 864 // एवं तु पयत्थाई जोएज्जा एत्थ तंतणीईए / अइदंपज्जं एयं अहिगरी पुच्छियव्वो त्ति // 865 // हिसिज्ज ण भूयाइं इत्थ पयत्थो पसिद्धगो चेव / मणमाइएहिं पीडं सव्वेसिं चेव ण करिज्जा // 866 // आरंभिपमत्ताणं इत्तो चेइहरलोचकरणाई / तक्करणमेव अणुबंधओ तहा एस वक्कत्थो // 867 // अविहिकरणम्मि आणाविराहणा दुट्ठमेवं एएसि / 'ता विहिणा जइयव्वं ति महावक्कत्थरूवं तु // 868 // * एवं एसा अणुबंधभावओ तत्तओ कया होइ / अइदंपज्जं एवं आणा धम्मम्मि सारो त्ति // 869 // एवं चइज्ज गंथं इत्थ पयत्थो पसिद्धगो चेव / / णो किंचि वि गिव्हिज्जा सचेयणाचेयणं वत्थु // 870 // 189