________________ सफलो एसुवएसो गुणठाणारंभगाण भव्वाणं / परिवडमाणाण तहा पायं न उ तट्ठियाणं पि // 499 // सहकारिकारणं खलु एसो दंडो व्व चक्कभमणस्स / तम्मि तह संपयट्टे निरत्थगो सो जह तहेसो // 500 // जइ एवं किं भणिया निच्चं सुत्तत्थपोरिसीए उ / तट्ठाणंतरविसया तत्तो त्ति न तेण दोसोऽयं // 501 // अप्पुव्वणाणगहणे निच्चब्भासेण केवलुप्पत्ती / भणिया सुयम्मि तम्हा एवं चिय एयमवसेयं // 502 // गुणठाणगपरिणामे संते उवएसमंतरेणा वि / नो तव्वाघायपरो नियमेणं होति जीवो त्ति // 503 // एत्थ वि आहरणाई णेयाइंऽणुव्वए वि अहिगिच्च / इट्रुत्थसाहगाई इमाई समयम्मि सिद्धाइं // 504 / / जिणधम्मो 1 सच्चो वि 2 य गोट्ठीसड्ढो 3 सुदंसणो मइमं 4 / तह चेव धम्मणंदो 5 अरोग्गदिओ 6 य कयपुण्णो 7 // 505 / / भरुयच्छे जिणधम्मो सावगपुत्तो अणुव्वयधरो त्ति / अवहरिओ परकूले विक्कीओ सूपहत्थम्मि // 506 // लावेसूसासाणा मोयण रुटेण ताडिओ धणियं / _एवं पुणो वि नवरं क़हणा एएसु पडिसेहो // 507 // दासो मे आणत्तिं कुण सच्चमिणं करेमि उचियं ति / मझं तु एत्थ दोसो अतत्तमिणमग्गिनाएण // 508 // * पिट्टण बोले रायाऽऽयन्नण परिओसविम्हयाहवणं / भावपरिक्खण मायाकोवो वाव त्ति हत्थाणा // 509 // . लोलण पुच्छा निच्चल भावा पडिसेह मोयणा सम्म / सक्कार विउलभोगा खग्गघर निरूवणा चेव // 510 // 159