________________ चेइयदव्वविणासे तद्दव्वविणासणे दुविहभेए / साहू उवेक्खमाणो अणंतसंसारिओ भणिओ // 415 // जोग्गं अतीयभावं मूलुत्तरभावओ अहव कटुं / जाणाहि दुविहभेयं सपक्खपरपक्खमाइं च // 416 // जिणपवयणवुड्डिकरं पभावगं णाणदंसणगुणाणं / रक्खंतो जिणदव्वं परित्तसंसारिओ होइ // 417 // जिणपवयणवुड्डिकरं पभावगं णाणदंसणगुणाणं / वढेतो जिणदव्वं तित्थगरत्तं लहइ जीवों // 418 // चेइयकुलगणसंघे उवयारं कुणइ जो अणासंसी / पत्तेयबुद्ध गणहर तित्थयरो वा तओ होइ // 419 // परिणामविसेसेणं एत्तो अन्नयरभावमहिगम्म / सुरमणुयासुरमहिओ सिज्झति जीवो धुयकिलेसो // 420 // देवो नामणगारो कम्मगुरू सीयलो विहारेणं / निद्धंधसो त्ति मरिउं भमिओ संसारकंतारे // 421 // सीयलविहारओ खलु भगवंतासायणा णिओगेण / तत्तो भवो अणंतो किलेसबहुलो जओ भणियं // 422 // तित्थयर पवयण सुयं आयरियं गणहरं महिड्डीयं / आसायंतो बहुसो अणंतसंसारिओ होति // 423 / / सो तम्मि तब्विवागा हीणो दुहिओ य पेसणयकारी / विहलकिरियाइभावो पायं होतूण मंदमती // 424 // खविऊण तयं कम्मं जाओ कोसंबिमाहणसुओ ति / . विज्जामंतोऽगुरुओ चिंता ओसरण निक्खमणं // 425 // लोयावन्ना पुच्छा निमित्त कहणम्मि परमसंवेगों। . सव्वत्थुज्जयजोगो सक्कथुती देवहत्थिरिया // 426 // 152