________________ जाणविवत्ती फलगं तीरे उदगत्थि सीह वाणरए / सिरिउररण्णो सुंदर गहरागे निच्छ कह धरणा // 31 // चित्तविणोए वाणरणट्टम्मी जाइसरणसंवरणं / देवपरिच्छा नियरूवकहणं रण्णो उ संबोही // 32 // सावत्थी सिद्धगुरु विउ ब्व दिक्खा परिच्छ सामइए / आलावगा णिमित्ते अदाण, कोवेतरा देवे / / लोगपसंसा सव्वण्णुसासणं एरिसं सुदिटुं ति / बोहीबीयाराहण एवं सव्वत्थ विण्णेयं / // 34 // . आसन्नसिद्धियाणं लिंगं सुत्ताणुसारओ चेव / उचियत्तणे पवित्ती सव्वत्थ जिणम्मि बहुमाणा // 35 // आयपरपरिच्चाओ आणाकोवेण इहरहा णियमा / एवं विचिंतियव्वं सम्मं अइणिउणबुद्धीए // 36 // बुद्धिजुया खलु एवं तत्तं बुझंति ण उण सव्वे वि। ता तीइ भेयणाए वोच्छं तव्वुड्डिहेउ ति // 37 // उप्पत्तिय वेणइया कम्मय तह पारिणामिया चेव / बुद्धी चउब्विहा खलु निद्दिट्ठा समयकेऊहिं // 38 // पुव्वं अदिट्ठमस्सुयमवेइय तक्खणविसुद्धगहियत्था / अव्वाहयफलजोगी बुद्धी उप्पत्तिया नाम // 39 // भरहसिल-पणिय-रुक्खे-खुड्डग-पड-सरड-काय-उच्चारे। गय-घयण-गोल-खंभे, खुड्डग-मग्गि-स्थि-पइ-पुत्ते // 40 // भरहसिल-मिंढ-कुक्कुड-तिल-वालुग-हत्थि-अगड-वणसंडे। पायसअइया पत्ते खाडहिला पंच पियरो य // 41 // महुसित्थ-मुद्दियं-के-णाणए भिक्खु-चेडग-निहाणे / / सिक्खा य अत्थसत्थे इच्छा य महं सयसहस्से - // 42 // ૧ર૦