________________ सम्मत्तं पुण इत्थं सुत्तणुसारेण जा पवित्ती उ / सुत्तगहणम्मि तम्हा पवत्तियव्वं इहं पढमं देवी दोहल एगत्थंभप्पासाय अभय वणगमणं / रुक्खुवलद्धऽहिवासण वंतरतोसे सुपासाओ // 20 // उउसमवाए अंबग अकाल दोहलग पाणपत्तीए / विज्जाहरणं रण्णा दिढे कोवोऽभयाणत्ती // 21 // चोरनिरूवण इंदमह लोगनियरम्मि अप्पणा ठिअओ / चोरस्स कए नट्टिय वडकुमारिं परिकहिंसु // 22 // काइ कुमारी पइदेवयत्थमारामकुसुमगहमोक्खो / नवपरिणीयब्भुवगमपइकहण विसज्जणा गमणं // 23 // तेणगरक्खसदसण कहण मुयणमेव मालगारेणं / अक्खयपच्चागय दुक्करम्मि पुच्छाइ नियभावो // 24 // ईसालुगाइणाणं चोरग्गह पुच्छ विज्ज कहणाओ / दंडो तद्दाणाऽऽसणभूमी पाणस्सऽपरिणामो . रण्णो कोवो नेयं वितहं अभयअविणउ त्ति पाणस्स / आसण भूमी राया परिणामो एवमण्णत्थ // 26 // विहिणा गुरुविणएणं एवं चिय सुत्तपरिणती होइ / इहरा उ सुत्तगहणं विवज्जयफलं मुणेयव्वं समणीयं पि जरुदये दोसफलं चेव हंत, सिंद्धमिणं / एवं चिय सुत्तं पि हु मिच्छत्तजरोदए णेयं // 28 // गुरुणावि सुत्तदाणं विहिणा जोग्गाण चेव कायव्वं / सुत्ताणुसारओ खलु सिद्धायरिया इहाहरणं // 29 // चंपा धण सुंदरि तामलित्ति वसु णंद सङ्घसंबंधो / सुंदरिणंदे पीई समए परतीरमागमणे // 30 // 119 // 27 //