________________ एवं तीताणागतरूवं पि कहंचि अस्थि दव्वस्स / ण य तीतादिअभावो पज्जायावेक्खतो जुत्तो // 1320 // एवंरूवं सव्वं एवं चिय गेण्हई तओ जम्हा।। ताऽतीतादिसु सम्म उववण्णं तस्स पच्चक्खं // 1321 // तीए तीयत्तेणं अणागते तेण चेव रूवेणं / गेण्हेइ जं ते दाणि गहणे वि ण तेसि तदभावो // 1322 // मुणइ य घडम्मि दिढे पिंडकपालादिए इहं को वि / पच्चक्खेण वि पातिभणाणी ता संभवइ एतं // 1323 // अण्णे तु असंतेसु वि सुविणादिसु जह फुडाभमेतं ति / एत्तो च्चिय पच्चक्खं भणंति तं वीयरागस्स // 1324 // तं पुण विसयागारं सो य इमस्सेव गहणपरिणामो / ण तु बिबसंकमादी पोग्गलरूवत्ततो तस्स // 1325 // बिंबपडिच्छाया वा पोग्गलजोगं विणा ण संभवति / अब्भुवगमे य सो च्चिय आवज्जइ गहणपरिणामो // 1326 // ण य तस्स णेयजोगो छायाहिं पि विप्पगरिसातो / अणुपभितिसुऽभावातो णेयाणंतत्तओ चेव // 1327 // णाणस्स पिंडभावो सिद्धाण य जोगसंभवाभावा / तेसावरणपसंगा सेसपरिच्छेदविरहा य // 1328 // ण य सव्वगयं एवं सत्तारूवेण जं अणंतो तु / धम्मरहितो अलोगो कह ग़च्छति तो तयं झत्ति ? // 1329 // - जं च इयमातधम्मो परिमियमाणो य सो मतो समए / ण य अद्दव्वा तु गुणा संकमगा चेव जुजंति // 1330 // तम्हा सव्वपरिच्छेदसत्तिमन्तं तु णायजुत्तमिणं / एत्तो च्चिय णीसेसं जाणति उप्पत्तिसमयम्मि // 1331 / / 111