________________ अन्नाणादिनिमित्तं जं कम्मं तस्स भेदजोगाओ / / ते होंति जं ततो सिं जुज्जइ एमेव खवणं तु // 1176 // बंधइ जहेव कम्मं अन्नाणादीहिं कलुसियमणो तु / तह चेव तव्विवक्खे सहावतो मुच्चती तेणं // 1177 // जम्हा स थिरो धम्मी कम्मक्खयतो य वीयरागत्तं / तम्हा असोभणं चिय नेयं जलजलणणायं पि // 1178 // खीणा य तेण होंति पुणो वि सहकारिकारणाभावा / न हु होइ संकिलेसो तेहिं विउत्तस्स जीवस्स // 1179 // तदभावे ण य बंधो तप्पाओग्गस्स होइ कम्मस्स / तदभावा तदभावो सव्वद्धं चेव विनेओ // 1180 // अन्ने उ नत्थि आया इति भावणमो सुदिट्ठपरमत्था / दोसपहाणनिमित्तं वयंति निस्संकियं चेव // 1181 // सति असति वा वि तम्मी एसा ? सइ कह णु सम्मरूव त्ति ? मिच्छारूवा य कहं पहाणहेऊ ? विरोहातो // 1182 / / असइ य को भावेती ? खणिगो अह सव्वहा निसिद्धो सो / नो भावी मे वाही नाउं च करेइ को किरियं ? // 1183 // पुत्तस्स नो भविस्सइ गहणे सति तस्स जुज्जए एतं / / अन्नस्स चिगिच्छाए. पउणइ अन्नो न. लोगम्मेि // 1184 // नो भावी मे दोसो मम चेवाभावओ त्ति ता विसए / भुंजामि किं न बुद्धी जायइ णइरातवादम्मि? // 1185 // तम्हा असपक्खो यं जुत्तिविरोधा विवज्जयपसंगा। सत्ताणुगुन्नतो पुण जुज्जइ इय देसणामेत्तं // 1186 // धम्मा य धम्मिणो इह भिन्नाभिन्ना भवंति नायव्वा / न वि (हि) धम्मिधम्मभावो जुज्जइ एगंतवादम्मि // 1187 // Ge