________________ जम्हा पच्चक्खेणं ण सव्वरूवावि (दि) जाणणं जुत्तं / सव्वन्नुनिच्छओ अत्तणो य तम्हाऽसपक्खोऽयं // 1152 // पच्चक्खमाइएहिं जाणइ सव्वेहिमह मतं ते तु / आगमकयस्समो णणु को वा एवं न सव्वन्नू ? // 1153 // अन्नं च नज्जइ ततो केण पमाणेण सव्वणाणि त्ति / णो पच्चक्खेणं जं परविनाणं न पच्चक्खं // 1154 // अणुमाणेणावि कहं गम्मति पच्चक्खपुव्वगं जेण / तल्लिंगलिंगिसंबंधगहणतो चेव गमगं ति // 1155 // ण य पच्चक्खेण तओ घेप्पइ लोगम्मि अन्ननाणस्स / निच्चपरोक्खत्तणओ लिंगे वि अतो च्चियानियमो // 1156 // गम्मइ न यागमातो जं पुरिसकतो स होज्ज निच्चो वा ? | पुरिसकओ चिय सव्वन्नुरत्थपुरिसेहिं भइयव्वो // 1157 // जइ सव्वन्नुकओ सो तदसिद्धो हंदि ! तस्स कह सिद्धी ? / इतरेतरासयो इह दोसो अनिवारणिज्जो तु // 1158 // अह रत्थापुरिसकओ ण पमाणं रेवणाइकव्वं व। अपमाणाओ य तओ तदवगमो सव्वधाऽजुत्तो . // 1159 // अह निच्चो सव्वन्नू उसहो एमादि अत्थवायो उ। अह णो अणिच्चमेसो कित्तिमभावाभिहाणाओ // 1160 // निच्चे य तम्मि सिद्धे तत्तो च्चिय धम्ममादिसिद्धीओ / सव्वनुकप्पणा वि हु अपमाणा निष्फला चेव // 1161 // पडिसेहगं च माणं सोऽसव्वन्नु त्ति णो पइन्नाओ। पुरिसादित्ता हेऊ दिटुंतो देवदत्तो व्व // 1162 // जइ णाम जीवधम्मा अणादिमंतो य एत्थ रागादी / संभवइ तह वि विरहो इह कत्थइ हासभावाओ // 1163 //