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________________ .. आपकी तरफसे कौन शास्त्रार्थ करेगा उसका नाम ..लिखो, संघ तरफसे मध्यस्थ बनाने वगैरह बातोंका उसके साथ खुलासा किया जावे. संवत् 1978 चैत्र बदी 2 बुधवार. ठे.-जैन श्वेतांबर लायब्रेरी, मोरसली गली, इन्दौर. ............ हस्ताक्षर मुनि-मणिसागर. यहांसे एक पत्र उनका और एक पत्र मेरा क्रमसे. ज़ानलेना. ... धमइसी जुहारमल का नोहरा, मल्हारगंज, . इन्दोर सीटी, चैत वदि (हिन्दी).३, 2.4.48, श्रीयुत मणिसागरजी, . आपका, पूज्यपाद परमगुरु आचार्य महाराज श्री के नामपर चेत बदि 2 का पत्र मिला / आप इन्दोर में तशरीफ लाये हैं, सो मालूम ही है। हम लोग शास्त्रार्थ के लिये पहिले भी तयार थे, अबभी तयार हैं और आगे भी तयार रहेंगे। आप शास्त्रार्थ करने को आये हैं सो अच्छी बात है। निम्न लिखित बातों के उत्तर शीघ्र दीजिये, ताकि शास्त्रार्थ के लिये अन्यान्य तयारियां करने करवानेकी अनुकूलता हो / 1 आपं शास्त्रार्थ करनेको आये हैं, सो किसी एक समुदायिक पंक्षकी तर्फसे आयें हैं,या आप अपनी ही तर्फसे शास्त्रार्थ करना चाहते हैं? 2 आपकी हार-जीत और भी किसी को मंजूर हैं ? -'- 3 . आप किस की आज्ञा में विचरते हैं ?' जिसकी आज्ञा में 'विचरते हैं, उसकी आज्ञा शास्त्रार्थ के लिये ली है ? . इन प्रश्नों के उत्तर दिये जायें। आपका-विशालविजय. श्रीमान् विजयधर्मसूरिजी, - आपकी तर्फ से श्रीमान् विद्याविजयजी* का पत्र अभी मिला / .. * यद्यपि पत्र में नाम विशालविजयजी का है, मगर पत्र विद्याविजयजीने लिखा है, झूठाही कपटतासे विशालविजयजी का नाम रक्खा
SR No.004449
Book TitleDevdravya Nirnay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJinkrupachandrasuri Gyanbhandar
Publication Year1917
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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