________________ ( 13 ) के संघों को अवश्यमेव ध्यान देना चाहिए नहीं तो यह स्पष्टता पूर्वक कहना पड़ेगा कि साधारण द्रव्य की तरफ जैसा चाहिए वैसा ध्यान नहीं देने के कारण वे लोग भयंकर प्रायश्चित के भागीदार होते हैं। यह शतप्रतिशत सत्य है। ___ कई लोग स्वप्नों की बोलियाँ के घी ( द्रव्य ) को 'देवद्रव्य' में ले जाने का विशेष आग्रह करते हैं / वे यह समझते हैं कि ये बोलियाँ भगवान के निमित्त से बोली जाती हैं परन्तु ऐसा नहीं है। ये बोलियाँ भी प्रतिस्पर्धा की ही बोलियाँ हैं। किसी भी व्यक्ति को बुरा न लगे इसीलिए ही ये बोलियाँ भी बोली जाती हैं / जैसे पूजा, आरती आदि के प्रसंगों में बोली बोली जाती है इसी प्रकार की ये बोलियाँ भी हैं। इसलिए उन बोलियों का द्रव्य भी साधारण खाते में ले जाने में किसी प्रकार का दोष लगता हो ऐसा प्रतीत नहीं होता है। गृहस्थावस्था में भी भगवान् अपनी सम्पत्ति का भाग कर दूसरों को देते हैं और वे भी ले लेते हैं, जबकि हम लोग तो प्रतिस्पर्धा के लिए ही बोलियाँ बोलते हैं और वह द्रव्य साधारण, खाते में नहीं ले जा सकते ऐसी मान्यता वालों पर दया उत्पन्न होती है। साथ ही साथ आश्चर्य भी होता है कि ऐसा क्यों ? अपनी कल्पना से बोली जाने वाली किसी भी बोली के द्रव्य