________________ ( 122 ) 'द्रव्य को अर्पणकर स्वशक्ति के अनुरूप 'द्रव्य डालकर आरती उतारना' ऐसा अर्थ होता है। देखिएँ दोनों शब्दों (उत्सर्पिणी और उत्सर्पण) की एक वाक्यता कैसी है ? उपसंहार- . ___'उत्सर्पण' शब्दार्थ के विषय में जैनेतर और जैनग्रन्थों के उदाहरणों को देखा और इससे यह भी समझ गये कि आनन्दसागर जी महाराज उस शब्द का कैसा अर्थ करते हैं ? अब हम यही इच्छा करेंगे और आशा रखेंगे कि सागर जी महाराज अपनी गल्ती को स्वीकार कर, उदारता प्रकटकर हमें भी मम्रता और गुण ग्राहकता का पाठ सिखायेंगे, और समाज में उत्पन्न कोलाहल को शांत करने का महान पुण्य प्राप्त करेंगे तथा इस प्रकार शासनसेवा का अद्भुत उदाहरण पेश कर जगज्जनों के लिये आदर्श रूप बनेंगे। ॐ शान्तिः / यद् देवाय समर्पितं भवति, तद् देवस्वमावेदितं स्वस्थीभूय विचारयन्तु विबुधा देवस्वलक्ष्मेदकम् / एवं च क्षतिरस्ति का भगवतां नीराजना-पूजनाद्यदेशार्पणसम्भवं यदि धनं नीयेत साधारणे ? // 1 // आदेशाअर्पणपद्धतिः सुविहिताचारो नहीति स्फुटं हीरप्रश्न उवाच हीरविजयः श्रीसूरिभट्टारकः /