________________ ( 106 ) . धौतकादि धौती आदि .: मोचन - रखना द्रव्योत्सर्पण पूर्वक - द्रव्य डालने पूर्वक . आरात्रिकविधानादिना- आरती उतारना आदि द्वारा। - इस प्रकार प्रस्तुत पाठ के पृथक-पृथक शब्दों के अर्थ हैं। - इस पर से समग्र पाठ का अर्थ "देवद्रव्य की वृद्धि मालोद्घट्टन, इन्द्रमालादि का पहिनना, पहेरामणीधोती वगैरह रखना और द्रव्य रखकर आरती आदि उतारना चाहिये। ___इस प्रकार स्पष्टतया तमझ सकते हैं। अब वाचक वर्ग सावधान दृष्टि से देख सकता है कि सागर जी महाराज ने मालोद्घाटन का चढ़ावा, इन्द्रमालादि पहिरने का चढ़ावा, इस प्रकार 'चढ़ावा' 'चढ़ावा' अर्थ किया है, इस अर्थ के सदृश एक भी शब्द पाठ में है क्या ? बिल्कुल नहीं। 'चढ़ावा' अर्थ सूचक भी शब्द जब इस पाठ में नहीं है, तो फिर 'चढ़ावा' अर्थ कहाँ से घुसेड़ दिया? इस प्रकार गलत अर्थ करके असंस्कृतज्ञ लोगों को खुश कर सकते हैं परन्तु संस्कृतज्ञ तो उनको कीमत अच्छी तरह से कर लेते हैं। इस प्रकार