________________ तत्थ य पुव्वगयम्मी पढमे उप्पायनामए पूवे। कोडी एगा अहबीय अग्गेणीयम्मि पुव्वम्मि।। 10 / / छन्नउई लक्खाइं तइए वीरियपवायपुव्वम्मि। पयलक्खाइं सत्तरि अहऽत्थिनत्थिप्पवायम्मि।। 11 / / तुरिए पुव्वे सट्ठी लक्खा अह पंचमम्मि पुव्वम्मि। णाणप्पवायनामे इगकोडी एगपयहीणा।। 12 / / छटे सच्चपवाए पुव्वे इग कोडि छहिं पयहिं अहिया। आयप्पवायपुव्वे सत्तम्मि पयकोडि छव्वीसा।। 13 / / कम्मप्पवायपुव्वे अट्ठम्मि इगकोडि सहस अस्सीई। णवमे पच्चक्खाणप्पवाइ लक्खाण चुलसीई।। 14 / / विजणुपवाय दसमे पुव्वे इगकोडि दसइलक्खाई। इकारसे अवज्झे पुव्वे पयकोडि छव्वीसा।। 15 / / पाणाउनामपुव्वे बारसमे छपण लक्ख इगकोडी। किरियाविसालपुव्वे तेरसमे कोडिवगंतु / / 16 / / तह लोगबिंदुसारे चउदसमे पुव्वि बार कोडीओ। लक्खा तह पन्नासं इय सव्वग्गे पयपमाणं / / 17 / / एयं पयप्पमाणं वालसंगस्स सयसमद्दस्स। णेयमुवंगाईण वि सुयाण समयाणुसारेण / / 18 / / उप्पन्नविमलकेवलनाणेणं जिणवरेण वीरेण। परमत्थरूव अत्थो निदंसिओ सव्वसुत्ताणं / / 19 / / सुत्तं तु गणहरकयं तम्हा सव्वप्पयत्तसंजुत्ता। पणमह जिणंदवीरं भवजलहीपारमिच्छंता / / 20 / / इय नंदिसुत्त-विवरणमणुसरिऊणंग-पयपमाणमिणं / जिणगणहरोवइटुं लिहियं जिणभद्दसूरीहिं / / 21 / / // इति श्री द्वादशांगीपदप्रमाणकुलकं समाप्तम्।। छ। [अनुसंधान अंक-५२] 000 356 लेख संग्रह