________________ पार्श्वनाथ रुणनगर पार्श्वनाथ उरुंगल पार्श्वनाथ प्रतिष्ठानपुर प्रतिष्ठान नेमिनाथ सेतुबन्ध सेतुबन्ध महावीर वटपद्र वटपद्र महावीर नागलपुर महावीर अ (?)ष्टकारिका महावीर जालन्धर जालन्धर महावीर देवपालपुर देपालपुर महावीर देवगिरि शान्तिनाथ चारुप चारुप नेमिनाथ द्रोणपुत्र नेमिनाथ रत्नपुर रत्नपुर अजितनाथ अर्बुकपुर (अर्बुद) मल्लिनाथ कोरण्टक कोरण्ट पार्श्वनाथ ढोरसमुद्र पशुसागर पार्श्वनाथ सरस्वती पत्तन भारतीपत्तन शान्तिनाथ शत्रुञ्जय शत्रुञ्जय आदिनाथ तारापुर तारापुर मुनिसुव्रत वर्धमानपुर आदिनाथ वटपद्र (वटपद्र) आदिनाथ गोगुपुर चन्द्रप्रभ नेमिनाथ ओंकार (नगर) ओंकार नेमिनाथ मान्धातृपुर (मान्धातृपुर) नेमिनाथ विक्कन आदिनाथ इस तालिका से स्पष्ट है कि स्तोत्र में प्राप्त 78 स्थानों में सुकृतसागर काव्य में 46 स्थान और तीन स्थानो - मुकुटिकापुरी (मकुडी), 2 वटपद्र और 3 मन्धातृपुर में 2-2 मन्दिरों का निर्माण होने से कुल 49 स्थानों का उल्लेख मात्र है, शेष स्थानों का उल्लेख नहीं है। स्तोत्रकार सोमतिलकसूरि का समय वि० सं० 1335 से 1424 तक है और पेथड़ के सुकृत कार्यों का कार्यकाल 1318 से 1338 है। अर्थात् पेथड़ के सद्गुरु धर्मघोषसूरि थे और उन्हीं के पौत्र. पट्टधर स्तोत्रकार थे। अतएव यह मानना अधिक युक्तिसंगत होगा कि पेथड़ ने 75 स्थानों पर 78 जिन मन्दिरों का निर्माण करवाया था न कि 84 / 328 लेख संग्रह वर्धमानपुर गोगपुर पिच्छन चेलकपुर