________________ सिरि धम्मणाह-थुत्तं सिरिं धम्मनाह ! धम्मम्मि ठाविउं भवियजणमिणं विजया। वइसाह-सुद्ध-सत्तमि कय गब्भवयार तं नमिमो // 1 // ते भाणु-सुव्वयाणं रयणपुरे माह -सुद्ध-तइयाए। वजक कं चणप्पह पणचत्त धणुच्च जाओ सि // 2 // अड्डाइज्जा पंचय कुमरो य निवो य वास सयसह सा। माह -सिय-तेरसीए क यछट्ठो वप्पगाइ तुमं // 3 // सह सेण निवाण विणिग्गउसि गहिऊण धम्म सीहाओ। पर मन्नामादियहे वास दुगं गमिय-छ उ मत्थो // 4 // पत्तोसि वप्पगाए वरनाणं पोस-पुनिमाइ तुमं / तुह गणहरा तिचत्ता मुणिणो चउसट्ठि सहसा य // 5 // अजाउ चउसयाहि य बिसट्ठि सहसा य निट्ठियक साया। भत्तिपरा तुह किन्नर-पन्नाती पुरिससीह हरी // 6 // अड्डाइजा लक्खा वासाण वयं दसे व सव्वाऊ / अंतरमणंतजिणओ जणिउं सागर चउक्के ण॥ 7 // जिट्ठ सिय-पंचमीए अट्ठ त्तर मुणिसएण सम्मे ए / होउमजोगी पत्तोसि ज पयं तं पयं देसु॥ 8 // सिरि संतिणाह-थुत्तं सिरिसंतिनाह ! सव्वो वसग्गनिग्गह क एण पुहईए। भद्दवय-कसिण-सत्तमि सव्वट्ठ चुयं नमामि तुमं // 1 // जाओसि गयउरे विस्ससेण - अइराण चत्त धणुमाणो। हरिणंक कणयलद्धो जिट्ठासियते रसीइ-तुमं // 2 // पणुवीस वास सहसा कु मार-मंडलिय-चक्क वट्टि पए। पत्तेयं भविय तुमं नरिंद-सह सेण सहं से बे // 3 // कयछट्ठो जिट्ठ - चउद्दसीइ कसिण्णइ विरइमणुरत्तो / पत्तोसि सुमित्ताओ पर मन्नमणंतरम्मि दिणे // 4 // वासंते तम्मि वणे लद्धूणं सुद्ध-पोस-नवमीए। नाणवरं वरसीसा छत्तीसा गणहरा विहि या // 5 // मुणिणो बिसट्ठि सहसा अज्जा इगसट्ठि सहस-छसया य / गरुडो निव्वाणी तुह भत्ता कोणालयो य निवो // 6 // वास सहस्साणि वयं पणुवीसं वासलक्खमाउं च। पाऊण पल्लर हि ए गयम्मि धम्माउ अयर तिगे // 7 // नवसाहु सएहिं समं जिट्ठासिय-तेरसीइ सम्मेए / मुत्तुं मुत्तिमसारं सारं पत्तोसि तुज्झ नमो॥ 8 // *** 204 लेख संग्रह