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________________ निगोद से मोक्ष की यात्रा प्र.207.संसार में जीवात्मा कब से भटक रहा है? उ. अनादिकाल से! इसका कोई प्रारंभिक बिन्दु नहीं है। प्र.208. जीव के कितने भेद कहे जा सकते हैं? उ. दो भेद- (1) अव्यवहार राशि और (2) व्यवहार राशि | प्र.209.अव्यवहार राशि के जीव किसे कहते है? . उ. जीव अनादिकाल से सूक्ष्म निगोद में है। जब तक वह सूक्ष्म निगोद से बाहर निकलकर पृथ्वीकाय आदि अन्य पर्याय में नहीं आता है, तब तक अव्यवहार राशि का जीव कहलाता (1)भव्य जीव- वह जीव, जो निगोद से निकलकर एक दिन मोक्ष में जायेगा। (2)अभव्य जीव- वह जीव, जो निगोद से बाहर निकलता है, यहाँ तक कि द्रव्य साधु बनकर उत्कृष्ट चारित्र का पालन करता है परन्तु यह सब यश, नाम, सत्ता, सम्पत्ति आदि सांसारिक सुखों के लक्ष्य से ही करता है। इस जीव को जिनोक्त तत्त्व पर कभी भी श्रद्धा नहीं होती है।जैसेअंगारमर्दकाचार्य। (3)जातिभव्य जीव-वह जीव, जो है तो भव्य परन्तु निगोद से कभी भी बाहर नहीं आयेगा अतः मोक्ष में भी नहीं जायेगा। प्र.212.इन जीवों के अनन्तज्ञान-दर्शन चारित्रादि गुणों में रंच मात्र भी अन्तर नहीं होता है तो फिर वे सभी मोक्षगमन में समर्थ क्यों नहीं? उ. इसे हम एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते है(1)जैसे एक कन्या शादी के बाद माता बनती है, वैसे ही आराधना करके मोक्ष में जाने वाला जीव भव्य कहलाता है। (2)जैसे एक कन्या शादी के बाद भी प्र.210. व्यवहार राशि किसे कहते है? उ. . . जब एक जीव सिद्ध पद को प्राप्त करता है, तब अनादिकाल से सूक्ष्म निगोद में रहा हुआ एक जीव बाहर आता है, उस जीव को व्यवहार राशि कहा जाता है। इस प्रकार जीव के प्रथम उपकारी सिद्ध परमात्मा है। प्र.211.क्या हर जीव निगोद से अवश्यमेव बाहर आयेगा? उ. नहीं! हर जीव निगोद से बाहर नहीं आयेगा। इसे समझने के लिये जीव के तीन भेदों को समझना जरूरी है।
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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