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________________ 10. एक बार दस दिन का तप। साध्वी चंदनबाला, प्रथम श्रावक 11. एक बार चार दिन का तप। शंख और प्रथम श्राविका सुलसा 12. बारह बार तीन दिन का तप। थी। 13. तेईस बार दो दिन का तप / 4. प्रभु के इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, प्र.44. परमात्मा महावीर के तेरह बोल का व्यक्त, सुधर्मा, मंडित, मौर्यपुत्र, अभिग्रह कौनसा था? अकम्पित, अचलभ्राता, मैतार्य और उ. तेरह बोल के अभिग्रह वाला तप प्रभास नामक ग्यारह गणधर थे। चंदनबाला के द्वारा सम्पन्न हुआ। तेरह 5. प्रभु के हस्तदीक्षित साधु 14000, साध्वी बोल इस प्रकार थे 36000, श्रावक 1,59,000 और 1. राजकुमारी 2. अविवाहित 3. निर्दोष श्राविकाएँ 3,18,000 थी। 4. हाथों में हथकड़ी 5. पाँवों में बेडी 6. प्रभु के आनंद, कामदेव, चुलनीपिता, 6. मुंडित मस्तक 7. बंदी खाने में पड़ी सुरादेव, चुल्लग शतक, कुंडकौलिक, 8. तेले का तप 9. एक पाँव दहलीज के सद्दाल पुत्र, महाशतक, नंदिनीपिता एवं बाहर एवं एक पाँव भीतर 10. दिन के तेतलीपिता नामक दस प्रमुख श्रावक दो प्रहर बीत चुके हो.11. बिकी हुई हो थे। 12. अश्रुपूरित नयन 13. सुपड़े में उडद 7. परमात्मा महावीर के श्रेणिक सम्राट्, के बाकुले हो। शतानीक, उदयन, चण्डप्रद्योत, प्र.45.परमात्मा महावीर के केवलज्ञान प्रसन्नचन्द्र, शाल, महाशाल, कल्याणक के बारे में लिखो। नंदीवर्धन, चेडा आदि प्रमुख भक्त उ. 1. मुंभक ग्राम के बाहर ऋजुबालिका राजा थे। नदी के किनारे शालवृक्ष के तले प्र.46. परमात्मा महावीर के निर्वाण गोदूहासन में वैशाख शुक्ला दशमी कल्याणक पर प्रकाश डालिये। को केवलज्ञान हुआ। उ. 1. सोलह प्रहर की अखण्ड देशना में 2. प्रभु की प्रथम देशना खाली गयी सुख-दुःख विपाक एवं उत्तराध्ययन क्योंकि किसी ने भी व्रत एवं महाव्रत सूत्र फरमाते हुए प्रभु निर्वाण पद को धारण नहीं किया। प्राप्त हुए। 3. चतुर्विध संघ (तीर्थ) की स्थापना 2. कार्तिक वदि अमावस को बहत्तर वर्ष ___ वैशाख शुक्ला एकादशी को हुई। की आयु में पावापुरी में स्वाति नक्षत्र प्रथम साधु गौतम स्वामी, प्रथम में प्रभु निर्वाण पद को उपलब्ध हुए।
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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