________________ करना चाहिए। यदि किसी विशेष एक पद का ध्यान करना हो तब नमो अरिहंताणं एवं नमो सिद्धाणं का पूर्व दिशा में, नमो आयरियाणं का दक्षिण दिशा में, नमो उवज्झायाणं का पश्चिम दिशा में एवं नमो लोए सव्वसाहूणं का उत्तर दिशा में जाप करना चाहिए। प्र.17.नवकार मंत्र में पाँच महातीर्थ किस प्रकार समाहित होते हैं? उ. नमो अरिहंताणं से अष्टापद, नमो सिद्धाणं से सिद्धाचल, नमो आयरियाणं से आबू, नमो उवज्झायाणं से उज्जयंतगिरि (गिरनार) और नमो लोए सव्वसाहूणं से सम्मेत शिखर / प्र.18. नवकार मंत्र की विशेषताएँ बताओ। उ. 1. नवकार मंत्र के हर शब्द पर एक करोड़ देवों का निवास है। 2. नवकार मंत्र के प्रत्येक अक्षर पर 1008 महाविद्याएँ, नव निधान एवं अष्ट सिद्धियाँ प्रतिष्ठित हैं। 3. नवकार शाश्वत मंत्र है। यह अनादिकाल से है और अनन्त काल तक चलता रहेगा। प्र.19.नवकार मंत्र के शब्द संयोजन का रहस्य समझाओ। उ. 1. 68 अक्षर अडसठ तीर्थों के प्रतीक रूप हैं। 2. पंचपरमेष्ठी में 24 गुरू अक्षर 24 तीर्थंकरों के तथा 11 ह्रस्व अक्षर ग्यारह गणधरों के प्रतीक हैं। 3. 'अ' अक्षर चार बार होने से क्रोध आदि चार आश्रवों को रोकने वाला मंत्र है। 4. 'इ' अक्षर एक बार होने से इसमें इष्ट देव-गुरू का स्मरण किया गया है। . 5. 'ग' अक्षर दो बार होने से मनुष्य एवं देव गति प्रदायक है। 6. 'र' अक्षर तीन बार होने से यह रत्नत्रयी प्रदाता है। 7. 'ह' अक्षर दो बार होने से राग व द्वेष ____ का हनन करने वाला है। 8. “स' अक्षर आठ बार होने से अष्ट सिद्धि प्रदाता है। 9. 'म' अक्षर नौ बार होने से पंच महाव्रत और चार मंगल का पवित्र स्थान है। 10.'य' अक्षर तीन बार होने से तीनों योगों को शुभ-अनुष्ठान में सक्रिय करने वाला मंत्र है। 11.'च' अक्षर दो बार होने से जन्म व मरण रूपी दोनों कुचक्रों को भेदने वाला शक्तिशाली मंत्राधिराज है। प्र.20. नवकार मंत्र को मंत्रशिरोमणि क्यों कहा जाता है? ****************