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________________ नवकार : जिसकी महिमा अपरम्पार क्या है? म प्र. 1. नवकार मंत्र का शास्त्रीय नाम क्षय कर मोक्ष-धाम को उपलब्ध कर लिया है, वे सिद्ध कहलाते हैं। उ. नमस्कार-सूत्र एवं पंचमंगल (3)आचार्य-गण, कुल और शिष्यों को महाश्रुतस्कंध। जिनाज्ञापूर्वक संयममार्ग में गतिशील प्र. 2. नवकार मंत्र में 'नमो' शब्द रखने वाले आचार्य कहलाते हैं। किसका प्रतीक है? (4)उपाध्याय-जिनोक्त प्रवचन की शिक्षा एवं उ. नमन, विनय और कृतज्ञता का। ज्ञान रूपी चक्षु देने वाले उपाध्याय प्र. 3. नवकार मंत्र का अर्थ बताईए। कहलाते हैं। .. उ. अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं (5)साधु-अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और लोक में स्थित समस्त मुनि भगवंतों को अपरिग्रह, इन पंच महाव्रतों का पालन नमस्कार / इन पंच परमेष्ठी को किया करने वाले साधु कहलाते हैं। गया नमस्कार समस्त पापों का नाश प्र. 6. नवकार मंत्र के स्मरण से कितने करने वाला है तथा समस्त मंगलों में पापों का विनाश होता है? यह मंत्र प्रथम मंगल है। उ. 1. नवकार मंत्र के एक अक्षर का प्र. 4. पंच परमेष्ठी में देव और गुरू कितने उच्चारण करने से सात सागरोपम (असंख्य वर्ष) जितने .उ. 1. देव-अरिहंत तथा सिद्ध / पाप नष्ट हो जाते हैं। 2. गुरू-आचार्य, उपाध्याय और 2. नवकार मंत्र के एक पद का स्मरण करने से पचास सागरोपम जितने प्र. 5. पंच परमेष्ठी को स्पष्ट कीजिए। अशुभ कर्म नष्ट हो जाते हैं। उ. (1)अरिहंत-अरि यानि शत्रु। 3. सम्पूर्ण नवकार मंत्र का एक बार जिन्होंने कर्म रूपी शत्रुओं का हनन जाप करने से पांच सौ सागरोपम कर दिया है, वे अरिहंत कहलाते हैं। जितने पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। (2)सिद्ध-जिन्होंने समस्त कर्मों का 4. 'नमो अरिहंताणं' इस पद का विधि **-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*_07 ***************** मुनि।
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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