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________________ कोई विचार और चिंता नहीं रहे। अन्य पुरूषों की अपेक्षा तेजस्वी, मांच से दस मिनट करने से क्लान्त ओजस्वी प्रतीत होती है। शरीर शान्त एवं ताजगी से भर जाता प्राणायाम के फल है। सारी थकान छूमन्तर हो जाती है। 1. पूरक प्राणायाम से शरीर पुष्ट एवं इसे श्रम नाशक साधन एवं शवासन निरोगी बनता है। भी कहा जाता है। 2. रेचक प्राणायाम से पेट की व्याधि प्र.650. भ्रामरी प्राणायाम कैसे किया ___ एवं कफ का नाश होता है। जाता है? 3. कुम्भक प्राणायाम से हृदय कमल उ. यह कुम्भक के आठ भेदों में से एक तत्काल विकस्वर होता है, बल, है। दोनों हाथों के अंगूठे को कान में वृद्धि एवं वायु स्थिर होती है। डालकर शेष चार अंगुलियों को दोनों प्र.652.प्राणायाम के संदर्भ में कुछ विशेष बंद नेत्रों पर रख दे। फिर नथुनों से जानकारी दीजिये / श्वास लेते हुए फेंफड़ों को वायु उ. प्राणायाम का सर्वोत्तम समय ब्रह्म से भर दे, फिर भ्रमर की तरह मुहूर्त का है। इसके लिये एकान्त, की गुंजन करते हुए उच्छ्वास करें। शान्त एवं निर्मल स्थान का चयन इस विधि से कुम्भक करने पर चित्त करना चाहिये। उस स्थान को हमेशा समाधि को उपलब्ध होता है एवं पवित्र रखे। यह भी जरूरी है कि वहाँ स्मृति-दौर्बल्य दोष नष्ट हो जाता है। वायु का संचार अवश्य हो तथा किसी भ्रामरी प्राणायाम कम से कम तीन बार भी अन्य व्यक्ति का प्रवेश निषिद्ध हो करें। क्योंकि विचार एक-दूसरे को प्र.651.प्राणायाम से क्या लाभ है? प्रभावित करते हैं। उ.. 1. प्राणायाम की सिद्धि से शरीर उस स्थान पर प्रविष्ट होने से पहले रोगमुक्त हो जाता है तथा निरोगी मन को चिंता मुक्त कर दो। सारे काया में स्वच्छ, निर्मल एवं तीव्र तनाव, क्रोध-मान-माया लोभ को बुद्धि का वास होता है। द्वार पर ही छोड़ने से वह स्थान 2. तन व्याधि मुक्त, मन प्रसन्न व सकारात्मक, शुद्ध एवं सात्विक ऊर्जा प्रफुल्लित एवं प्रकृति मधुर बनती से परिपूर्ण बनेगा। फिर जब कभी है। नेत्र, ललाट एवं मुखाकृति हैरान-परेशान हो, तब वहाँ जाओगे
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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