________________ (5) श्रावकाचार-तप, स्वाध्याय, सत्संग, तत्त्वचर्चा आदि अनुष्ठानों में समय और चित्त को एकाग्र करें। (6)ब्रह्मचर्य का अधिकतम पालन करें। (7)अनीति, दुराचार, मायाचार एवं पारस्परिक विवाद से पूरी तरह दूर रहें। दिन में नींद न ले। (8)उठते-बैठते,हर समय अजपाजाप चलता रहे। (9)जाप व ध्यान की साधना में जल्दी उठना जरूरी है और जल्दी उठने के लिये समय पर सोना जरूरी है। (10) मंत्र साधना के दिनों में दो-तीन घण्टे मौन करें। मौन शक्ति का दिव्य कोष है। प्र.610. जाप के प्रभाव क्या है? उ. 1. इससे कषायों का ताप, कलह का संताप एवं भव-भव के पाप नष्ट हो जाते हैं। 2. सहनशक्ति एवं प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटि) का विकास होता है। 3. मन की शान्ति और शरीर का ___ आरोग्य प्राप्त होता है। 4. कषाय, विकार, वासनाओं पर नियन्त्रण होता है। 5. मैत्री , जयणा, अहिंसक भावों में __अभिवृद्धि होती हैं। 6. राग-द्वेष हीनता को प्राप्त होते हैं। 7. लक्ष्य सिद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। 8. आत्म विश्वास, धैर्य, समता, . अप्रमत्तता आदि गुणों का विकास होता है। हीनता, घुटन, तनाव, आक्रोश, प्रपंच, अहं, ईर्ष्या आदि ग्रन्थियाँ नष्ट होती जाती हैं।