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________________ परिधान, आसन, मुद्रा आदि में अवश्य गिनें। अत्यावश्यक कारण के बिना 17.मंत्र को साधने के लिये प्रायः 5 बदलाव न करें। किसी भी स्थिति बजे से 6 बजे तक का एवं रात्रि में में जाप अवश्य करें। अनियमितता 8 बजे से 10 बजे तक का समय से जाप फलित नहीं होता है। अत्युपयुक्त है। इस समय 9. जाप की अवधि एवं संख्या बढ़ाते अन्तरिक्ष में विद्यमान दिव्यात्माओं रहे, इसके साथ एकाग्रता पर भी के आत्मबल की विद्युत् तरंगें पूरा ध्यान दें। __ प्रसारित होती हैं। 10.विश्वास और श्रद्धा बढ़ाते रहे, फल 18.जाप के मध्य किसी से वार्तालाप प्राप्ति में विलम्ब होने पर धीरज न न करें। स्थिरता को अखण्ड रखे। हारे। 19.मंत्र, स्तोत्र, सूत्र को गुरू के पास 11.जाप करते समय मंत्राक्षर एवं ध्येय विनययुक्त होकर ग्रहण करना आकृति चित्त पर सहज ही चाहिये। मंत्रोच्चारण के वक्त भी उपस्थित होनी चाहिये। विनम्रता अत्यन्त आवश्यक है। 12.सफलता मिलने पर मंत्र-जाप, प्र.609.जाप के दिनों में कैसा आचरण ___श्रद्धा में वृद्धि करते रहे। हो? 13.जाप पद्मासन, अर्द्धपद्मासन, उ. (1)जाप के दिनों में सप्त व्यसनों का, जिनमुद्रा आदि में किया जा क्रोध आदि कषायों का त्याग सकता है। करें। 14.यदि प्राणायाम विधि का प्रशिक्षण (2)तामसिक, गरिष्ठ तीखे, चटपटे लिया है तो जाप व ध्यान से पूर्व भोजन का परिहार करें। अभक्ष्य 5-7 मिनट उसका प्रयोग करें एवं कंदमूल का त्याग करें। जिससे शरीर में स्फूर्ति, ताजगी (3) मनोरंजन के टी.वी., खेल आदि एवं एकाग्रता का संचार होता रहे। साधनों को भी छोड़ दें। 15.जाप करने से पहले आत्मा रक्षा (4)जाप में प्रामाणिक, मधुर व्यवहार स्तोत्र से शरीर सुरक्षा का कवच करें। हित-मित-प्रिय बोले। तैयार करें। अन्यथा जाप व ध्यान से प्राप्त 16.जाप से पूर्व नवकार की एक माला शक्ति का क्षरण हो जाता है। ---*-*-*-*-*-*-*-*--*- 267 *-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-***
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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