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________________ जिनशासन के चमकते सितारे प्र.598. जिनशासन के प्रभावक आचार्यों का परिचय दीजिये। उ. 1. सुधर्मा स्वामी- ये परमात्मा महावीर के पंचम गणधर थे। श्वेताम्बर परम्परा सुधर्मा स्वामी को और दिगम्बर परम्परा गौतम स्वामी को प्रभु वीर का पट्टधर मानती है। 2. जम्बूस्वामी- पाँच सौ सत्ताईस व्यक्तियों के साथ दीक्षा लेने वाले जम्बू स्वामी को भला कौन नहीं जानता / सुधर्मा स्वामी के चरणों में दीक्षित हुए और रत्नत्रयी की विशुद्ध आराधना की।उनके मोक्ष गमन के बाद कोई भी मोक्ष में नहीं गया / इसलिये कहा भी जाता है'जम्बू जड गया ताला रे।' 3. प्रभव स्वामी- ये थे तो चोर परन्तु धर्म कथा के द्वारा जम्बूकुमार ने इनके मन के चोर को चुरा लिया। उनके धर्मोपदेश से पाँच सौ चोरों के साथ सुधर्मा स्वामी के पास दीक्षित हुए एवं जम्बू स्वामी के पट्ट को शोभायमान किया। 4. शय्यंभवसूरि-प्रभवस्वामी के पट्ट प्रभावक शय्यंभवसूरि गर्भवती ** * * 252 पत्नी को छोड़कर दीक्षित हुए। बाद में पुत्र मनक मुनि के निमित्त दशवैकालिक सूत्र की रचना की। 5. भद्रबाहु स्वामी- चतुर्दश पूर्वधर एवं उवसग्हरं स्तोत्र के रचयिता भद्रबाहु स्वामी शासन के महान् सूरिपुरन्दरों में से एक है। 6. आर्य स्थूलिभद्र- ब्रह्मचर्य व्रत की बेजोड़ आराधना से चौरासी चौबीसी तक आपका नाम अमर रहेगा। आचार्य श्री भद्रबाहु के सानिध्य में चौदह पूर्वो का सूत्र से एवं दस पूर्वो का अर्थ से अध्ययन किया। 7. व्रजस्वामी- आपको पूर्व देवभव में गौतम. स्वामी ने प्रतिबोध दिया था। ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से पालने में झूलतेझूलते आपने ग्यारह अंग आगम कण्ठस्थ लिये थे। आप अंतिम दस पूर्वधर थे। 8. आर्यरक्षित सूरि- आगम रहस्य ज्ञाता आर्यरक्षितसूरि ने आगमों को चरण, करण, द्रव्य, कथा, इन चार भागों में विभक्त.किया। ****************
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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