________________ का वर्णन है। श्रेणिक सम्राट् के काल आदि दस (3)जीवाभिगम सूत्र- स्थानांग का पौत्रों की दीक्षा, तप-साधना, यह उपांग सूत्र जीव, अजीव, ढ़ाई देवलोकगमन आदि रसप्रद वर्णन द्वीप, नरक, देवलोक और विजयदेव द्वारा जिन-प्रतिमा पूजा (10) पुष्पिका सूत्र-पुष्पक विमान में आदि विशिष्ट विषयों से युक्त है। बैठकर प्रभु वीर के वन्दनार्थ आने (4)प्रज्ञापना सूत्र- जैन दर्शन के वाले देवी-देवताओं के पूर्वभव / तात्त्विक पदार्थों का विस्तृत का विशेष विवेचन इसमें है। विवेचन इसमें हुआ है। यह (11) पुष्पचूलिका सूत्र- बड़ी शांति समवायांग का उपांग है तथा बारह स्तोत्र में वर्णित श्री, हाँ, धृति, उपांगों में सर्वाधिक विस्तृत होने से मति आदि दस देवियों के पूर्वभवों इसे लघु भगवती भी कहा जाता . के कथानक इस सूत्र में है। (12) वृष्णिदशा सूत्र - बलभद्र के (5)सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र- सूर्य-चन्द्रादि बारह पुत्रों के नेमिनाथ प्रभु के की गति आदि खगोल सम्बन्धी पास दीक्षा ग्रहण व देवलोक अति सूक्ष्म दृष्टि से गणित सूत्र गमन का सुन्दर वर्णन इस इसमें टंकित है। आगम में किया गया है। (6)जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र- इसमें प्र.591. दस प्रकीर्णक सूत्र कौनसे हैं ? भूगोल सम्बन्धी छह आरों, उ. (1)चतुःशरण - चार शरणों का नवनिधि, मेरुपर्वत आदि अनेक . महत्त्व, दुष्कृत-गर्हा एवं सुकृतविषय अंकित हैं। अनुमोदना की मार्मिक व्याख्या (7)चन्द्र प्रज्ञप्ति सूत्र- इसमें चन्द्र इस आगम में हैं। हानि-वृद्धि, गति आदि घटनाएँ (2)आतुर प्रत्याख्यान- बाल, पण्डित, विवेचित हैं। बाल पण्डित मरण के अतिरिक्त (8)निरयावलिका सूत्र- इसमें अन्तिम समय की आराधना विधि कोणिक सम्राट् एवं चेडा राजा के का निर्देश इस सूत्र में है। मध्य हुए भयंकर युद्ध का वर्णन है। (3)महाप्रत्याख्यान - इस आगम में (9)कल्पावतंसिका सूत्र- इसमें श्रमण योग्य अन्तिम आराधना ************ 248 **************** **