________________ त्यौहार कैसे मनाएँ? प्र.575.जन्म दिन (Birthday) मनाने की गुरु-वन्दन करके कोई सुन्दर परम्परा क्या उचित है? नियम स्वीकार करें। उ. जन्मदिन चिन्तन का दिन है। यह (2)माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों के चरणों दिन तो बीते एक वर्ष को का स्पर्श करके आशीर्वाद ग्रहण टटोलने का खास दिन है कि मैंने इस करें। एक वर्ष में धर्मकार्य यथा सामायिक, (3)बुरी आदत का त्याग करें। पूजा, प्रतिक्रमण, माला, जाप कितना (4)सुपात्र दान करें। किया? मेरे क्रोध-मान-माया-लोभ (5) दीन-दुःखी की सहायता करें। कितने कम हुए? (6)क्षमा का आदान-प्रदान करें। वर्तमान में जन्म दिन मनाने की जो (7)आत्म-चिन्तन करें। प्रक्रिया चल रही है, वह जैन धर्म से प्र.577.दीपावली किस प्रकार मनानी नितान्त विपरीत है। आर्य संस्कृति में चाहिये? प्रत्येक शुभ कार्य के आरंभ में दीप उ. दीपावली का अर्थ है -दिल में धर्म का प्रज्ज्वलित करके जीवन में संस्कार दीप जलाना। पर आज लोग यह भूल एवं धर्म के प्रकाश की प्रार्थना की / चुके हैं। आतिशबाजी करना यानि जाती है। वर्तमान में दीप बुझाया संस्कृति और प्रकृति का विनाश एवं जाता है तो फिर मन में ज्ञान, संस्कार विकृति को आमंत्रण। और जागरण का प्रकाश कहाँ से आतिशबाजी से वाय एवं अग्नि के आयेगा। जीवों की हिंसा होती है। छोटे-बड़े आप यदि जन्म दिन रात्रि भोजन करके/ जीव, पशु-पक्षी दुःखी होते हैं, कभी करवाकर, केक, चॉकलेट, केडबरी सुलगता पटाखा. झोंपड़ी आदि पर गिर जाता है तो जान और माल, दोनों . आदि अभक्ष्य पदार्थ खाकर/ का नुकसान उठाना पड़ता है। खिलाकर एवं फिल्मी संगीत पर पटाखे बनाने की फैक्ट्री में एवं बेचने थिरककर मनाते हैं तो सावधान! ये की दुकान में आग लगने से अनेक पदार्थ आपकी उम्र और धर्म को लोग मर जाते हैं, उसका पाप भी काटने वाले हैं। .... आतिशबाजी करने वाले को लगता है, प्र.576. तो फिर यदि जन्मदिन मनाना उसके फलस्वरूप नरक में जाना चाहे तो कैसे मनाना चाहिये? पड़ता है। (1)इस दिन सामायिक, प्रभु-पूजा, 694 241