________________ ऊणोदरी तप का लाभ मिलता नींद लेना सर्वथा अनुचित है। है। (21) स्थिर होकर, बिना नीचे गिराये (11) समस्त भोज्य पदार्थों में कुछ एवं समिति से युक्त होकर ___ पदार्थों का त्याग करने से वृत्ति भोजन करना चाहिये। संक्षेप तप का लाभ मिलता है। (22) भोजन करने के बाद थाली (12) वमन करके भोजन न करें। धोकर पीये तथा उसे पोंछकर (13) जब किसी चिन्ता से ग्रस्त हो, रखे, इससे आयंबिल का लाभ तब भोजन ग्रहण न करें। मिलता है। झूठे बर्तनों में (14) खड़े-खड़े, अस्थिर आसन में, अडतालीस मिनट में अवश्यमेव रात्रि अथवा अंधेरे में भोजन जीवों की उत्पत्ति हो जाती है। करने से बचें। मक्खी, मच्छर आदि गिरने से (15) अजीर्ण दशा में भोजन न करें। विराधना भी होती है। अतः झूठे कभी भी अज्ञात फल न खाये। बर्तन अड़तालीस मिनट से अधिक (16) अन्तराय वाली स्त्री के स्पर्श न रखें। वाला भोजन न करें। (23) भोजन झूठा नहीं छोड़ना चाहिये (17) अति उष्ण अथवा शीत आहार न एवं झूठे मुँह बोलना नहीं करें। अति उष्ण आहार से वायु चाहिये / आवश्यक होने पर पानी प्रकोप तथा अति शीत आहार से पीकर बोला जा सकता है। दांत व आंत सम्बंधी रोग हो जाते (24) भोजन करते समय चबाने की आवाज नहीं करनी चाहिये। (18)अति खट्टे, खारे, तीखे आहार से प्र.497 भोजन कब एवं कहाँ नहीं करना बचने की कोशिश करें। चाहिये? (19) बड़े-बुजुर्गों को भोजन करवाकर उ. विवेक विलास नामक ग्रन्थ में लिखा प्रसन्नतापूर्वक भोजन ग्रहण है-सूर्योदय के पूर्व एवं सूर्यास्त होने करें। प्रसन्नता से आहार समाधि, पर भोजन नहीं करना चाहिये। अन्न सन्तोष और स्वास्थ्यवर्द्धक की निंदा करते हुए, चलते, सोते, खुले बनता है। स्थान में, धूप में, अन्धकार में, वृक्ष के (20) भोजन के तुरन्त बाद नहाना, नीचे बैठकर तथा तर्जनी अंगुली उपर **************** 188 ************** *