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________________ ( जैन जीव मीमांसा 17. निगोद से मोक्ष की यात्रा 18. जीव सृष्टि का परिचय 19. नरक : दुःखों का महासागर 20. देवलोक : सुख का कल्पवृक्ष 21. प्राण एवं पर्याप्ति का विवेचन ( जैन दर्शन मीमांसा 22. जैन धर्म क्या है? 23. जगत क्या है? 24. उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी 25. लोक का स्वरूप 26. जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त 103 109 115. ,117 122 ( जैन कर्म मीमांसा 27. जैन कर्मवाद 28. कर्म के भेद व प्रभेद 29. कर्म का फल 30. बंध के कारण : मुक्ति के उपाय 31. चौदह गुणस्थानक (जैन विचार मीमांसा 32. मिथ्यात्व का त्याग : सम्यक्त्व का राग 33. संज्ञा का शमन 34. कषाय : जन्म-मरण की आय 35. विकथा की विकटता 36. लेश्या-विज्ञान 37. सम्बोधि के सोपान 125 131 133 135 137 140.
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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