SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अशाता का उदय होता है और व्यक्ति कि समान परिस्थिति, पुरूषार्थ, सत्ता, व्यसनों का एवं प्रतिकूल पदार्थों का सम्पत्ति आदि होने पर भी वह एक के प्रयोग कर दुःखी हो जाता है। लिये वह सुखद और दूसरे के लिये प्र.307.महाराजश्री! जब यह प्रत्यक्षरूप दुःखद बन जाती है। इस भेद का से दृष्टिगोचर हो रहा है कि धन, कारण एक मात्र कर्म ही है। जीव साधन, वैभव, परिवार, पदार्थ जिस प्रकार शुभाशुभ कर्मों का बंधन आदि सुख के कारण हैं और विष, करता है, वैसा ही फल प्राप्त होता है। तलवार, छूरी, कण्टक आदि दुःख इससे मानना होगा कि कर्म-सत्ता का के कारण हैं फिर यह क्यों माना विश्व में निश्चित ही सद्भाव है। जाये कि पूर्वकृत कर्म सुख-दुःख प्र.308.जीवात्मा कर्माधीन है अथवा के हेतु हैं? स्वतन्त्र? उ. एकान्त रूप से धन, वैभव, परिवार उ. कर्म बांधने में जीवात्मा स्वतंत्र होता है आदि को सुख का और तलवार आदि परन्तु फल भोगते समय परतन्त्र होता को दुःख का कारण नहीं माना जा सकता है क्योंकि एक व्यक्ति के लिये जैसे वृक्ष पर चढते समय जीव स्वतंत्र एक जीव/पदार्थ सुख का एवं दूसरे होता है परन्तु प्रमादवश गिरते समय व्यक्ति के लिये वह दुःख का कारण परतन्त्र हो जाता है। इसी प्रकार बन जाता है। समान पूंजी एवं विषपान-मद्यपान करते समय जीव उद्यमपूर्वक एक समान व्यापार करने स्वतंत्र होता है पर बाद में मृत्यु, वाले दो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति बेहोशी, पागलपन प्राप्त करते समय लाभ प्राप्त करता है, दूसरा हानि परतन्त्र हो जाता है। उठाता है। किसी परिस्थिति विशेष की अपेक्षा से एक ही प्रकार का दुग्धपान करने वाले जीव परतन्त्र होता है परन्तु मूल दो व्यक्तियों में से एक के लिये दूध स्वभाव से स्वतंत्र ही है। कभी आत्म पुष्टि का एवं दूसरे के लिये विसूचिका शक्ति, काल आदि लब्धियों की (रोग) का कारण बन जाता है। अनुकूलता होने पर जीव कर्मों को इन सभी तथ्यों से पूर्णतया स्पष्ट है पछाड़ भी देता है, कभी कभी कर्मों की
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy