________________ -समर्पणम् . सुयसीलवारिही जो जिणागमाणं पहाकरो चावि / सुग्गहियनामधेओ आसी मुणिपुण्णविजयबुहो // 1 // जेणऽज्जत्ताए खलु जिणागमप्पमुहसत्थनिवहस्स / संसोहणप्पवित्ती पवत्तिया समणसंघम्मि // 2 // कप्पसुयं वित्तिजुयं जेणेव विसोहिऊण संघस्स / ठवियं करकमलेसुं पुत्थयसंपुडसरूवेण // 3 // तस्सेव पुण्णचरणे चुण्णिजुयस्सऽज्ज कप्पसुत्तस्स / पढम पेढियभागं सहबहुमाणं समप्पेमो // 4 // - विजयशीलचन्द्रसूरिः - रूपेन्द्रकुमार पगारिया