________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका - - काल चूडा - अधिक मास... भाव चूडा - क्षायोपशमिक भाव स्वरूप यह चूलिका ही भावचूडा है... इस सात अध्ययन स्वरूप प्रथम चूलिका के प्रथम अध्ययन में पिंडैषणा कही जाएगी, उसके चार अनुयोग द्वार होतें हैं वह पूर्ववत् किंतु नाम-निष्पन्न निक्षेप में पिंडैषणा अध्ययन नाम है, उसके निक्षेप-द्वार से संपूर्ण पिंडनियुक्ति का यहां कथन किया जाएगा... Pance