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________________ 262 2-1-3-1-7 (451) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन इस विषय को और स्पष्ट करते हुए सूत्रकार महर्षि सुधर्म स्वामी आगे का सूत्र कहतें हैं... I सूत्र // 7 // // 451 // से भिक्खू वा० गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया, से जं पुण विहं जाणिज्जा एगाहेण वा दुआहेण वा तिआहेण वा चउआहेण वा पंचाहेण वा पाउणिज्ज वा नो पाउणिज्ज वा तहप्पगारं विहं अणेगाहगमणिज्जं सड़ लाढे जाव गमणाए, केवली बूया- आयाणमेयं, अंतरा से वासे सिया पाणेसु वा पणएसु वा बीएसु वा हरि० उद० मट्टियाए वा अविद्धत्थाए, अह भिक्खू जं तह० अणेगाह० जाव नो पव० तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जिज्जा || 451 // II संस्कृत-छाया : स: भिक्षुः वा० ग्रामानुग्रामं गच्छन् अन्तरा तस्य अनेकाहगमनीयः पन्थाः स्यात्, स: यत् पुनः पन्थानं जानीयात् = एकाहेन वा, द्वयहेन वा, त्र्यहेन वा चतुरहेन वा पचाहेन वा प्राप्नुयात् वा न प्राप्नुयात् वा तथाप्रकारं मागं (पन्थानं) अनेकाहगमनीयं सति लाढे (आर्यदेशे) यावत् गमनाय, केवली ब्रूयात्-आदानमेतत्, अन्तरा तस्य वासः स्यात् प्राणिषु वा पनकेषु वा बीजेषु वा हरितेषु वा उदकेषु वा मृत्तिकायां वा अविद्धार्थायां, अथ भिक्षुः यत् तथा० अनेकाह० यावत् न प्रपद्येत गमनाय, ततः संयतः एव ग्रामानुग्राम गच्छेत् // 451 // III सूत्रार्थ : साधु या साध्वी यामानुग्राम विहार करता हुआ मार्ग में उपस्थित होने वाली अटवी को जाने, जिस अटवी को एक दिन में, दो दिन में, तीन और चार अथवा पांच दिन में उल्लंघन किया जा सके, अन्य मार्ग होने पर उस अटवी को लांघकर जाने का विचार न करे। केवली भगवान कहते है कि- यह कर्म बन्धन का कारण है। क्योंकि मार्ग में वर्षा हो जाने पर, द्वीन्द्रियादि जीवों के उत्पन्न हो जाने पर, लील-फूल एवं सचित्त जल और मिट्टी के कारण संयम की विराधना का होना सम्भव है। इस लिए ऐसी अटवी जो कि अनेक दिनों में पार की जा सके मुनि उसमें जाने का संकल्प न करे, किन्तु अन्य सरल मार्ग से अन्य गावों की ओर विहार करे। IV टीका-अनुवाद : विहारानुक्रम से ग्रामांतर जाता हुआ साधु जब जाने कि- दो गांव के बीच अटवी के
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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