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________________ RE RSSLROCEASTHANTEERISTOTROCEASE श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन : महास्तम्भ: (श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिन्दी टीका) आपके पूर्वज श्री यशवन्तसिंहजी हुए जिन्होने सं. १९२३वैशाख सुदि - 1 के रोज परम पूज्य कलिकाल सर्वज्ञ कल्प भद्वारक श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी का श्रीपूज्य पदवीका महोत्सव करके छडी चामर भेट कर आहोर ठिकाने से श्रीपज्यपद का महत्त्व दिया, जिन्हो के आत्मज श्री लालसिंहजी हुए इनके आत्मज श्री भवानीसिंहजी हुए जिनके शासनकाल में वि. सं. 1915 फागण वद 1 गुरुवार को राजस्थान में सर्व प्रथम भव्य अंजनशलाका महोत्सव के आयोजक बाफना गोत्रीय जसरुपजी जितमलजी मुथाकीऔर से19 जिनबिंबोकी अंजनशलाका हई, एवं श्री गोडीपार्श्वनाथ केपरिसरमें बावन (52) जिनालय में जिनबिंबोकी प्रतिष्ठासानंदसंपन्न हई. आपके सुपुत्र श्री ठाकुर रावतसिंहजी हुए, जिन्होने परम पूज्य व्याख्यान आगमज्ञाता आचार्यदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म. को सं. 9eeg वैशाख सुदि 90 को आचार्यपद प्रदान किया गया उस मे सभी प्रकार से पूर्ण सहयोग श्री संघ आहोर को दिया / इन्हो के पुत्र श्री नरपतसिंहजी व श्री मानसिंहजी हवे श्री नरपतसिंहजी के दत्तकपत्र श्री पथ्वीसिंहजी हवे जिन का अल्प आयु में स्वर्गवास हो गया, इनके सुपुत्र श्री महिपालसिंहजी एवं श्री मानसिंहजी ने परम पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के सं. 2080 माघ सु. 9 को आचार्यपद प्रदान महोत्सव में आपके पूर्वजों के अनुरूप सम्पूर्ण सहयोग श्रीसंघ को दिया, श्रीपृथ्वीसिंहजी की धर्मपत्नी श्री श्री ठाकरपथ्वीसिंहजी नरपतसिंहजी चौपावत प्रफुल्लकुंवरजी साहिब जो वर्तमान में आहोरनगर में ग्राम पंचायत की "सरपंच"है / जिन्होको धर्म तत्त्व जानने की बहूत ही जिज्ञासा रहती है। आहोर (राजस्थान) आपके पुत्र श्री महिपालसिंहजी दीर्घ आयु होकर समाज व नगर की सेवा करते जन्म इ.सं.१९४९ हुवेआत्मोन्नतिकरयशस्वीबने यही मंगल कामना। स्वर्गवास :इ.सं.५-५-१९८१ प्रस्तुति शान्तिलाल वक्तावरमलजी मुथा श्री भूपेन्द्रसूरि साहित्य समिति आहोर (राजस्थान)
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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