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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 2-1-1-9-3 (385) 133 ___प्रस्तुत सूत्र में जो सम्बन्धियों के घर में जाने का निषेध किया है, उसका तात्पर्य इतना ही है कि यदि उनके घर में राग-स्नेह भाव के कारण आहार में दोष लगने की सम्भावना हो तो वहां साधु आहार को न जाए। यद्यपि साधु को परिवार वालों के यहां आहार को जाने एवं आहार-पानी लाने का निषेध नहीं किया है। क्योंकि- आगम में बताया है कि स्थविरों की आज्ञा से साधु सम्बन्धियों के घर पर भी भिक्षा के लिए जा सकता है। निष्कर्ष यह है कि साधु को 16 उद्गम के, 16 उत्पादन के और 10 एषणा के 42 दोष टाल कर आहार ग्रहण करना चाहिए और व्यासैषणा के 5 दोषों का त्याग करके आहार करना चाहिए। इस तरह साधु को 47 दोषों से दूर रहना चाहिए। साधु को सभी दोषों से रहित निर्दोष आहार ग्रहण करना चाहिए, इसका उल्लेख करके अब उत्सर्ग एवं अपवाद में आहार ग्रहण करने की विधि का उल्लेख करते हुए सुत्रकार महर्षि सुधर्म स्वामी आगे का सूत्र कहतें हैं... I सूत्र // 3 // . // 385 // ... से भिक्खू वा से जं० मंसं वा मच्छं वा भज्जिज्जमाणं पेहाए तिल्लपूयं वा आएसाए उवक्खडिज्जमाणं पेहाए नो खद्धं, उवसंकमित्तु ओभासिज्जा, नन्नत्थ गिलाणनीसाए || 385 // // संस्कृत-छाया : स: भिक्षुः वा सः यत् मांसं वा मत्स्यं वा भज्यमानं प्रेक्ष्य तैलपूपं वा आदेशाय संस्क्रियमाणं (पच्यमानं) प्रेक्ष्य, न शीघ्रं, उपसङ्क्रम्य अवभाषेत, अन्यत्र ग्लानादिकार्यात् / / 385 // III सूत्रार्थ : .. गृहपति कुल में प्रवेश करने पर साधु या साध्वी इस प्रकार जाने कि गृहस्थ अपने यहां आए हुए किसी अतिथि के लिए मांस और मत्स्य तथा तेल के पूड़े पका रहा है। उस समय उक्त पदार्थों को पकाते हुए देखकर वह अतिशीघ्रता से वहां जाकर उक्तविध आहार की याचना न करे। यदि किसी रोगी के लिए आवश्यकता हो तो उसके लिए उनकी याचना कर सकता है। IV टीका-अनुवाद : वह साधु या साध्वीजी म. यदि ऐसा जाने कि- यहां मांस या मत्स्य पकाये जा रहे हैं, अथवा तैलके पुएं महेमानों (अतिथिओं) के लिये बनाये जा रहें हैं, तब ऐसा देखकर आहारादि
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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