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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 2-1-1-8-5 (381) 121 पुइआलुगं वा अंण्णयरं वा० / से भिक्खू वा० से जं० उप्पलं वा उप्पलनालं वा भिसं वा भिसमुणालं वा, पुक्खलं वा पुक्खलविभंगं वा अण्णयरं वा तहप्पगारं० // 381 // // संस्कृत-छाया : सः भिक्षुः वा सः यत्० इक्षुगण्डिकां वा, अङ्ककरेलुकं वा कसेरुकं वा शृङ्गाटकं वा, पूति-आलुकं वा अन्यतरं वा० / स: भिक्षुः वा सः यत् उत्पलं वा उत्पलनालं वा पद्मकन्दमूलं वा पद्मकन्दमृणालं वा, पुष्कलं वा पुष्कलविभषे वा अन्यतरं वा तथाप्रकारं० // 381 // III सूत्रार्थ : गृहपति कुल में प्रवेश करने पर साधु या साध्वी इस प्रकार से जाने, यथा-इक्षुखंडगंडेरी, अंककरेल नामक वनस्पति, कसेरु, सिघाडा और पूति आलुक तथा अन्य इसी प्रकार की वनस्पति विशेष जो शस्त्र परिणत नहीं हुई, उसे मिलने पर भी अप्रासुक जान कर साधु ग्रहण न करे। ___ गृहस्थ के घर में प्रविष्ट हुआ साधु या साध्वी यदि यह जान ले कि उत्पलकमल,उत्पलकमल की नाल, उसका कन्द-मूल, उस कन्द के ऊपर की लता, कमल की केसर और पद्म कन्द तथा इसी प्रकार का अन्य कन्द कोई कच्चा हो, जो शस्त्र परिणत नहीं हुआ हो तो साधु मिलने पर भी उसे अप्रासुक जानकर ग्रहण न करे। IV टीका-अनुवाद : ... उच्छुमेरग याने छाल निकाले हुए शेरडी के टुकडे, तथा अंककरेलुका आदि जल में उत्पन्न होनेवाली वनस्पतियां तथा अन्य भी तथाप्रकार की वनस्पतियां कि- जो कच्ची याने शख से उपहत न हइ हो अर्थात अचित्त न हड़ हो, तो उनका ग्रहण न करें... वह साध या साध्वीजी म. यदि ऐसा जाने कि- उत्पल याने नीलकमल तथा नीलकमल के नाल तथा पद्मकंद के मूल एवं पद्मकंदे के उपर रहनेवाली लता, तथा पद्मकेशरा एवं पद्मकंद तथा ऐसे प्रकार के अन्य भी जो जो वनस्पतियां हो कि- जो आम याने सचित्त हो तो साधु प्राप्त होने पर भी उनका ग्रहण न करें... सूत्रसार : प्रस्तुत सूत्र में बताया गया है कि- साधु को इक्षुखंड, कसेरु, सिंघाडा, उत्पल (कमल), उत्पल-नाल (कमल की डंडी), मृणाल (कमल के नीचे का कन्द) आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये सचित्त होते हैं, अतः जब तक शस्त्रपरिणत न हों तब तक साधु के लिए अव्याह्य है।
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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