________________ 112 2-1-1-8-1 (377) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन आचाराङ्गसूत्रे श्रुतस्कन्ध-२ चूलिका - 1 अध्ययन - 1 उद्देशक - 8 पिण्डैषणा सातवां उद्देशक कहा, अब आठवे उद्देशक का प्रारंभ करतें हैं... इसका पूर्व के उद्देशक के साथ यह संबंध है कि- सातवे उद्देशक में जल का विचार कीया, अब यहां आठवे उद्देशक में भी जल विषयक हि विशेष कहतें हैं... I सूत्र // 1 // // 377 // से भिक्खू वा से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा, तं जहा - अंबपाणगं वा 10, अंबाडगपाणगं वा 11, कविठ्ठपाण० 12, माउलिंगपा० 13, मुद्दिया पा० 14, दालिम पा० 15, खजूर पा० 16, नालियेर पा० 17, करीर पा० 18, कोल पा० 19, आमलपा० 20, चिंचा पा० 21, अण्णयरं वा तहप्पगारं पाणगजातं सअट्ठियं सकणुयं सबीयगं, अस्संजए भिक्खुपडियाए छब्बेण वा दूसेण वा वालगेण वा, आविलियाण पविलियाण परिसावियाण आहट्ट दलइजा, तहप्पगारं पाणगंजायं अफा0 लाभे संते नो पडिगाहिज्जा // 377 // II संस्कृत-छाया : सः भिक्षुः वा सः यत् पुन: पानकजातं जानीयात्, तद्-यथा आम्रपानकं वा 10, अम्बाडक-पानकं वा११, कपिस्थपानकं वा 12, मातुलिङ्ग पा० 13, द्राक्षा पा० 14, दाडिमपा० 15, खजूर पा० 16, नालिकेर पा० 17, करीर पा० 18, कोलपा० 19, आमलक पा० 20, चिधा पा० 21, अन्यतरं वा तथाप्रकारं पानकजातं सास्थिकं सकणुकं सबीजकं असंयतः भिक्षुप्रतिज्ञया छब्बकेन वा दूष्येन वा वालकेन वा, आपीड्य परिपीड्य परिस्त्राव्य आहृत्य दद्यात्, तथाप्रकारं पानकजातं अप्रासुकं० लाभे सति न प्रतिगृह्णीयात् // 377 // III सूत्रार्थ : गृहस्थ के घर में पानी के निमित्त प्रवेश करने पर साधु या साध्वी पानी के विषय में इन बातों को जाने / जैसे कि-आमफल का पानी, अम्बाडगफल का पानी, कपित्थ फल का पानी, मातुलिंग फल का पानी, द्राक्षा का पानी, अनार का पानी, खजूर का पानी, नारियल का पानी, करीर का पानी, बदरी फल-पानी, आंवले का पानी और इमली का पानी, तथा