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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी-हिन्दी - टीका 1 - 5 -1 - 2 (155) 369 मरण के प्रवाह में भटकते रहते हैं। - ऐसे असंयत-व्यक्ति मोक्ष से दूर रहते हैं। क्योंकि- सम्यग् ज्ञान, दर्शन और चारित्र का परिपालन करना हि मोक्ष मार्ग है। और विषयाभिलाषी प्राणी रत्नत्रय की आराधना-साधना कर नहीं सकता। वह रात-दिन विषय-वासना में आसक्त रहता है; अतः मोक्ष से दूर कहा गया है। विषयासक्त व्यक्ति रात-दिन भोगों में संलग्न रहता है। अतिभोग के कारण उसकी इन्द्रियें जर्जरित हो जाती हैं, शरीर दुर्बल एवं रोग से घिर जाता है। इस तरह वह विषय जन्य भोगोपभोगों से वंचित रहता है और मानसिक भावों से विषयासक्त रहने के कारण वह संसार से दूर नहीं होता है। क्योंकि- उसका चिन्तन सदा विषय-वासना में ही लगा रहता है। अत: वह निरन्तर जन्म मरण के प्रवाह में बहता रहता है। सम्यक्त्व की साधना करने वाले व्यक्ति के अध्यवसाय किस तरह के रहते हैं ? इसका विवेचन करते हुए सूत्रकार महर्षि आगे का सूत्र कहते हैं... I सूत्र // 2 // // 155 // 1-5-1-2 सो पासइ फुसियमिव कुसग्गे पणुण्णं निवइयं वाएरियं, एवं बालस्स जीवियं मंदस्स अवियाणओ, कूराई कम्माइं बाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण मूढे विप्परिआसमुवेइ, मोहेण गब्भं मरणाइ एइ, एत्थ मोहे पुणो पुणो // 155 // II संस्कृत-छाया : / सः पश्यति स्पृष्टमिव कुशाग्रे प्रणुन्नं निपतितं वातेरितं, एवं बालस्य जीवितं मन्दस्य अविजानतः, क्रूराणि कर्माणि बालः प्रकुर्वाणः, तेन दुःखेन मूढः विपर्यासं उपैति, मोहेन गर्भ मरणानि एति, अत्र मोहे पुनः पुनः // 155 // III सूत्रार्थ : वह सम्यक्त्वी प्राणी कुशाग्र पर स्थित जल बिन्दु की तरह जीवन को असार देखता है। कुशाग्र पर स्थित जल बिन्दु दूसरी बून्द या हवा के झोंके की प्रेरणा से शीघ्र ही गिर पडता है, उसी तरह बाल्य काल भी कुछ दिनों में बीत जाता हैं। परन्तु विवेकहीन प्राणी इस परमार्थ सत्य को नहीं जानता। अत: वह अज्ञानी व्यक्ति क्रूर कर्मों को करता हुआ तज्जन्य दुःखानुभूति से मूढ होकर विपरीत मार्ग का अनुगामी बन जाता है। और मोह से आवृत होकर जन्म मरण के प्रवाह में भटकता रहता है।
SR No.004436
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages528
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size12 MB
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