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________________ श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन (श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिन्दी टीका) आपके पूवर्ज श्री यशवन्तसिंहजी हुए जिन्होने सं. 1923 वैशाख सुदि 5 के रोज परम पूज्य कलिकाल सर्वज्ञ कल्प भट्टारक श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी का श्रीपज्य पदवीका महोत्सव करके छडी चामर भेट कर आहोर ठिकाने से श्रीपूज्यपद का महत्त्व दिया, जिन्हो के आत्मज श्री लालसिंहजी हुए इनके आत्मज श्री भवानीसिंहजी हुए जिनके शासनकाल में वि. सं. 1955 फागण वद 5 गुरुवार को राजस्थान में सर्व प्रथम भव्य अंजनशलाका महोत्सव के आयोजक बाफना गोत्रीय जसरुपजी जितमलजी मुथा की और से 951 जिनबिंबोकी अंजनशलाका हुई, एवं श्री गोडी पार्श्वनाथ के परिसरमें बावन (52) जिनालय में जिनबिंबो की प्रतिष्ठा सानंद संपन्न हुई, आपके सुपुत्र श्री ठाकुर रावतसिंहजी हए, जिन्होने परम पूज्य व्याख्यान आगमज्ञाता आचार्यदेव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म. को सं. 1995 वैशाख सुदि 10 को आचार्यपद प्रदान किया गया उस मे सभी प्रकार से पूर्ण सहयोग श्री संघ आहोर को दिया / इन्हो के पुत्र श्री नरपतसिंहजी व श्री मानसिंहजी हवे श्री नरपतसिंहजी के दत्तकपुत्र श्री पृथ्वीसिंहजी हुवे जिन का अल्प आयु में स्वर्गवास हो गया, इनके सुपुत्र श्री महिपालसिंहजी एवं श्री मानसिंहजी ने परम पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के सं.२०४० माघ सु. 9 को आचार्यपद प्रदान महोत्सव में आपके पूर्वजों के अनुरूप सम्पूर्ण सहयोग श्रीसंघ को दिया, श्रीपृथ्वीसिंहजी की धर्मपत्नी श्री प्रफुल्लकुंवरजी साहिब जो वर्तमान में आहोरनगर में ग्राम पंचायत की “सरपंच"है / जिन्होको धर्म तत्त्व जानने की बहुत ही जिज्ञासा रहती है / आपके पुत्र श्री महिपालसिंहजी दीर्घ आयु होकर समाज व नगर की सेवा करते हवे आत्मोन्नति कर यशस्वी बने यही मंगल कामना / प्रस्तुति शान्तिलाल वक्तावरमलजी मुथा श्री भूपेन्द्रसूरि साहित्य समिति आहोर (राजस्थान) श्री ठाकुर पृथ्वीसिंहजी नरपतसिंहजी चौपावत आहोर (राजस्थान) जन्म : इ.सं.१९४९ स्वर्गवास : इ.सं. 5-5-1981
SR No.004436
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages528
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size12 MB
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