________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 327 % 3D .. नि. 132 जह वा तिलसक्कुलिया बहुएहिं तिलेहिं मेलिया संती। पत्तेयसरीराणं तह हंति सरीरसंघाया || 132 // नि. 133 नाणाविहसंठाणा दीसंती एगजीविया पत्ता खंधावि एगजीवा तालसरलनालिएरीणं || 133 // नि. 134 पत्तेया पज्जत्ता सेढीए असंखभागमित्ता ते / लोगासंखप्पज्जत्तगाण साहारणाणता // 134 / / नि. 135 एएहिं सरीरेहिं पच्चक्खं ते परुविया जीवा . . / .सेसा आणागिज्झा चक्खुणा जे न दीसंति // 135 // नि. 136 साहारणमाहारो साहारणं आणपाणगहणं च साहारणजीवाणं साहारणलक्खणं एयं // 13 // नि. 137 . एगस्स उ जं गहणं बहूणं साहारणांण ते चेव / जं बहुयाणं गहणं समासओ तंपि एगस्स "प एगस्स // 17 // नि. 138 जोणिब्भूए बीए जीवो वक्कमइ सो व अन्लो वा जोऽवि य मूले जीवो सो च्चिय पत्ते पढमयाए // 138 // . नि. 139 चक्कागं भज्जमाणस्स गंठी चुण्णघणो भवे पुढविसरिसभेएणं अनंतजीवं वियाणेहि // 139 // नि. 140 गुढसिरागं पत्तं सच्छीरं जं च होइ निच्छीरं जं पुण पणट्ठसंधिय अनंतजीवं वियाणाहि // 140 // नि. 141 सेवालकत्थभाणियअवए पणए य किंनए य हढे / एए अनंतजीवा भणिया अन्ने अनेगविहा // 141 // नि. 142 एगस्स दुण्ह तिण्ह व संखिजाण व तहा असंखाणं / पत्तेयसरीराणं दीसंति सरीरसंघाया // 142 //