________________ ग्रन्थ परिचय डा. चरणप्रभा साध्वी का यह शोध प्रबन्ध भारतीय पुराण वाङ्मय मैं जैन धर्म के मूल्य, आचार, सांस्कृतिक इतिहास और मान्यताएँ किस प्रकार प्रतिफलित देखे जा सकते हैं, इसका शोधात्मक और विशद अध्ययन प्रस्तुत करता है। पुराणों का विवेचन करते समय विदुषी लेखिका ने पुराणों के पाँच लक्षणों का विवरण दिया है और बडे सारगर्भित ढंग से उनमें वर्णित विषयों का एक-एक करके जैन आममी, सूत्रग्रन्थी, पुराणी तथा अन्य ग्रन्थों में वर्णित विषयों से तत्वग्राही तुलनात्मक अध्ययन किया है। लेरिवका का निष्कर्ष है कि पुराण जैन धर्म के सिद्धान्तों से अवगत हैं और अर्हत् धर्म आदि संदर्भो से उनका परिचय प्रमाणित करते हैं। पुराणों ने आत्म तत्व का जी विवेचन किया है, उसमें जैन सिद्धान्ती की मान्यता से क्या समानता है, कर्म सिद्धान्त की....