________________ 35. मार्कण्डेय पुराण ४६वाँ अध्याय 36. मुनिश्री रलचन्द्रजी महाराज -"सृष्टिवाद और ईश्वर" पृ. 461-463 37. (आ) सतीशचन्द्र जोशी :श्री भविष्यपुराण" पृ. 62 . () डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी “शिव महापुराण की दार्शनिक व धार्मिक समालोचना” पृ. 128 38. (अ) भागवत पुराण 2.10.6; 4.5-38 / (a) ब्रह्मवैवर्तपुराण, ब.ख: 8.8-9; 54-70 39. शंकराचार्य “ब्रह्मसूत्र" भाष्य 3.1.15 40. (अ) सूत्रकृतांग 2.5.1.3 1.5.4 () तत्त्वार्थ सूत्र 6.15 वामन पुराण 61.15-17 (अ) सूत्रकृतांग 1.5.22-23, 1.5.16 (ब) जीवाभिगम सूत्र 3.3.11 (स) तत्त्वार्थसूत्र 3.3,4,5 (अ) कल्याण (वामन पुराणांक) पृ. 73 (11.51-58) जनवरी 1982 (क) कल्याण (ब्रह्मवैवर्त पुराणांक, जनवरी, 1963 (अ) श्री शुक्लचन्द्र जी म “नवतत्त्वादर्श" पृ. 14 . () मार्कण्डेय पुराण ४४वाँ अध्याय (सर्ग-वर्णन) . (अ) उत्तराध्ययन 3.1,7; 10.4,5,7,20 . (a) औपपातिक सूत्र (स) सूत्रकृतांग 1.15.16, 1.15.18, (अ) विष्णुपुराण (1) 1.14.22-26 (ब) मार्कण्डेयपुराण 54.63-64 (स) भागवत 5.17.11 (द) पद्मपुराण (2) पृ. 252, श्लो. 6 46. (अ“चत्तारि परमंगाणि, दुल्लहाणीह जंतुणो माणुस्सत्तं सुई सद्धा संजमम्मि य वीरियं // " -उत्तराध्ययनं 3.1 (क) “तओ ठाणाई देवे पीहेजा। माणुसं भवं, आरिए खेत्ते जम्म, सुकुलं पच्चायाति // -ठाणांग 3.3 47. अभिधान राजेन्द्र कोष (4) पृ. 2607 48. यास्क "निरुक्त 7.4.15 1, तत् कर्मनिगडप्रस्तै: स्वकर्माख्यापनोत्सुकैः . न किंचित् क्रियते कर्म सुखलेशोप बृंहितैः / / -मार्कण्डेयपुराण 54.64 50. व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र, प्रथम शतक, छठा उद्देशक 000 245 / पुराणों में जैन धर्म