SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौथा समुद्र वारुणीरस क्षीरसागर घृतवर समुद्र इक्षुरस समुद्र लवणोद मदिरारस दूधरस मधुररस .. पाँचवाँ समुद्र छठा समुद्र सातवाँ समुद्र पौराणिक मान्यता प्रथम समुद्र तीसरा समुद्र छठा समुद्र सातवाँ समुद्र दूसरा समुद्र इक्षुरस जैन मान्यता पौराणिक मान्यता 1. भारतवर्ष 1. भारतवर्ष 2. हैमवत 2. किम्पुरुष 3. हरिवर्ष 3. हरिवर्ष 4. विदेह 4. इलावृत 5. रम्यक् 5. रम्यक 6. हैमवत 6. हिरण्मय 7. ऐरावत 7. उत्तरकुरू विशेष-जैन मान्यतानुसार विदेह क्षेत्र के ही एक भाग का नाम उत्तरकुरू है। इलावृत ऐरावत का ही रूपान्तर है। पर्वत जैन मान्यता पौराणिक मान्यता 1. हिमवान् 1. हिमवान् 2. महाहिमवान् 2. हेमकूट 3. निषध 3. निषध 4. नील 4. नील 5. रुक्मी 5. श्वेत 6. शिखरी 6. श्रृंगी विशेष-शिखरी और श्रृंगी ये दोनों पर्यायवाची नाम हैं। पंचम रुक्मीपर्वत का वर्णन जैन मान्यतानुसार श्वेत माना गया है। जगत् - विचार / 230 .
SR No.004426
Book TitlePuranome Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharanprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2000
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy