________________ (ब) जंमि य भग्गंमि होइ सहसा सव्वं भग्गं... जंमिय आराहियमि आराहियं वयमिणं सव्वं. -प्रश्न व्याकरण 2.4 (स) देवदाणवगंधव्वां, जक्खरक्खस्सकिन्नरा बंभयारि नमसंति, दुक्करं जे करंति तं // -उत्तराध्ययन 16-16 (द) कालिकारओ वि जपमारओ वि सावजजोगविरओवि जं नारओ विसिज्जइ तं खलु सीलस्समाहप्पं // सम्बोध प्रकारण 43 (रतनलालजी डोशी "मोक्षमार्ग" भाग 1 से) 16. (अ) पतिव्रतायाश्चरणो यत्र यत्र स्पृशेढुवम् तत्र तत्र भवेत्सा हि पापहन्वी सुपावनी / / विभु पतिव्रतास्पर्श कुरुते भानुमानपि सोमो पवनश्चापि स्वपावित्र्याय नान्यथा / / आप पतिव्रता स्पर्शमभिलष्यन्ति सर्वदा अध बाड्यविनाशो नो जातस्त्वद्यान्यपावनाः / / गृहस्थस्य हि जिज्ञेयो यस्य गेहे पतिव्रता / अस्यतेऽन्यान्प्रतिदिनं, राक्षस्या जरया यथा // . -शिव पुरा(a) ब्रह्म वैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण 83.123 (स) वाराह पुराण 209, 6-7 67. यद्वेदरागयोगान्मधुनमभिधीवते. तदब्रह्म / अवतरति का हिंसा वधस्य सर्वत्र संभावात् / / . हिंस्यन्ते तिलनाल्यां तप्तायसि विनिहते तिला यत् बहवो जीवा योनी, हिंस्यन्ते मैथुने तद्वत् // . -आ. अमृतचन्द्र सूरि “पुरुषार्थ सिन्धुपाय” श्लो. 107, 108 68. (अ) नरेन्द्र मानावत 'अपरिग्रह विचार और व्यवहार' पृ 293 (ब) वही, पृ. 63 69. डॉ. ओमप्रकाश नीखरा -'हरिवंश पराण में धर्म पू४७ 70. अपरिग्गह संवुडेणं लोगंमि विहरियव्वं / -प्रश्न व्याकरण 2.3 भारंडपक्खीव चरेऽप्पमत्तो। -उत्तराध्यवन 4.6 दशवैकालिक 6.21 (आ) दुक्खं हयं जस्स न होइ मोहो . मोहो हओ जस्स न होई तोहा।। . तव्हा हया जस्स न होइ लोहो लोझे हओ जस्स न किंचणाई॥ . '-उत्तराध्यवन 32.8 () सुक्क मूले जहा रुक्खे, सिच्चमाणे ण रोहति एवं कम्मा न रोहंति, मोहणिज्जे खबंगते / / -दशावत स्कन्ध 5.14 73. (अ) राज्यमुवी बलं कोशो मित्रपक्षस्तथात्मजाः भार्या भृत्यजनो ये च शब्दाचा विषयाः प्रभो // .. ___171 / पुराणों में जैन धर्म