SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 46. योगशास्त्र—द्वितीय प्रकाश 71 47. (अ) अदुवा अदिन्नादाणं। आचारांग 1.3 (ब) एकस्यैकक्षणं दुःखमार्यमाणस्य जायते _सपुत्र-पौत्रस्य पुनर्यावज्जीवं हते धने / -योगशास्र 2.68 48. नोचितं हि विधानं वै विवाहकरणं नृणाम् महानिविडसंज्ञो हि विवाहो दृढ-बंधनः / / -शिव पुराण (1) श्लो. 60 49. मैथुनस्याप्रवृतिर्हि मनो वाक्कायकर्मणा ब्रह्मचर्यमिति प्रोक्तं यतिनां ब्रह्मचारिणाम् // -लिंग पुराण (1) पृ. 69, श्लो. 16 50. डॉ. ओम प्रकाश नीखरा -'हरिवंश पुराण में धर्म' पृ. 39-40, 38 51. जीवो बंभा जीवम्मि चेव चरिया, हविज्ज जा जदिणो। तं जाण बंभचेर, विमुक्क-पर-देह-तित्तिस्स // भगवती आराधना 878 (जैन धर्म की हजार शिक्षाएं पृ. 51) 52. अमोलक ऋषिजी म - "जैन तत्व प्रकाश” पृ. 169 53. डॉ. ओम प्रकाश नीखरा -'हरिवंश पुराण में धर्म' पृ. 41 54. (अ) द्रव्यबह्म अज्ञानिनां वस्तिनिग्रहः, मोक्षाधिकारशून्यत्वात्। उत्तराध्ययन चूर्णि 16 जैन धर्म की हजार शिक्षाएं, पृ 51 (ब) नाल्पसत्वैर्न निःशीलैर्नुदीनै क्षनिर्जितैः स्वप्नेऽपि चरितुं शक्यं, ब्रह्मचर्यमिदं नरैः / / -ज्ञानार्णव पृ. 133 (स) स एव भिक्खू, जो सुध्दं चरति बंभचे। -प्रश्न व्याकरण 2.4 55. (अ) भोगेन तृप्ति नैवास्ति विषयाणां विचारत: तस्माद्विरागः कर्तव्यो मनसा कर्मणा गिरा / / न जातु काम: कामानामुपभोगेन शाम्यति हविषा कृष्णवत्व भूय एवाभिवर्धते // तस्मात्याग: सदाकार्यस्त्वमृतत्वाय योगिना अविरक्तो यतो मत्यों नानायोनिषु वर्तते / / -लिंग पुराण (1) पृ. 71 श्लो. 24-26 (ब) वर्धते विषयशश्वन्महाबंधनकारिण: विषयाक्रान्तमन: स्वप्ने मोक्षोऽपि दुर्लभः / / सुखमिच्छतु चेत्प्राज्ञो विधिवद्विषयान्त्यजेत् विषवद्विषयानाहुर्विषयनिहन्यते नरः / / जनो विषयिणां साकं वार्तात: पतति क्षणात् विषयं प्राहुराचार्यास्मितालिप्तेन्द्रवारुणीम् / / -शिव पुराण (1) श्लो. 63-65 56. सल्लं कामा विसं कामा कामा आसीविसोवमा कामे पत्येमाणा अकामा जंति दोग्गइं / / -उत्तराध्ययन 9.53 57. तेल्लोक्काउ विउहणो, कामग्गिविसयरुक्खपज्जलिओ 169 / पुराणों में जैन धर्म
SR No.004426
Book TitlePuranome Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharanprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2000
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy