________________ oeste estiloestiese gestegesom (अक्षय तीज आई रे (तर्ज-छुप गया कोई रे...) अक्षय-तीज आई रे, समय है सुहाना प्रभु आदिनाथजीद्व का हुआ आज पारना।। टेर।। Letiloestige दीक्षा ली थी जब प्रभु ने लोग अज्ञानी। नहीं जानते थे बहराना अन्न-पानी। कोई कहता कन्या ले लो, कोई दे खजाना...प्रभु...||1|| Sareeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeyan पूर्वभव में प्रभुजी ने काम बैलों से लिया। बारह घड़ी तक उनको अन्न-पानी ना दिया। वही कर्म बाधक बनकर उदय हुआ आवंना...प्रभु...||2|| शिक्षा देती ये घटना, नहीं अन्तराय दो। बाँधे जो कर्म हँस के, भोगने पड़ेंगे रो-रो। प्रभु शक्तिपुंज थेवे, मन म्लान किया ना...प्रभु...।।3।। gestegesoestigesoestes क्षय हुआ जब अन्तराय, पहुँचे श्रेयांस घर। इक्षुरस उसने बहराया, पूर्ण भक्ति धर। 'अहोदानं' अहोदानं की हुई गगन घोषणा...प्रभु...||4|| तपवीर जो होते हैं, प्रभु पथ पर चलते। तप की अग्नि में उनके सारे कर्म जलते।