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________________ gesicogeniegesegeskgeeg 6) रहती थी। न अधिक गर्मी होती थी और न अधिक सर्दी। अतः (8 1) तत्कालीन मनुष्य ने ऋतुओं के प्रकोप के अभाव में घर बनाने की a आवश्यकता ही अनुभव नहीं की थी। उस समय मनुष्य समाज में ॐबंध कर नहीं रहता था। जंगल ही उसका निवास था। उस युग का मानव यौगलिक कहलाता था। यौगलिक का है। a अर्थ है युगल! अर्थात् पति-पत्नी का जोड़ / तत्कालीन मनुष्य की कामेच्छा मतिमन्द थी। पति-पत्नी जीवन के अन्तिम दिनों एक बार संभोग करते थे जिसके परिणामस्वरूप उन्हें एक पुत्र और एक ॐ पुत्री की प्राप्ति होती थी। यही पुत्र-पुत्री यौवनावस्था में परस्पर र साथी बनकर विचरण करते थे और बाद में पति-पत्नी का रूप धारण कर लेते थे। 1) जनसंख्या अत्यल्प थी। कल्पवृक्षों की प्रचुरता थी। लेकिन और समय सदा सम नहीं रहता है। अवसर्पिणी काल ने अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया। तृतीय आरे के अन्तिम समय में कल्पवृक्षों की शक्ति क्षीण हो गई और जनसंख्या बढ़ गई। साधन अल्प हो , 1) गए / उपभोक्ता अधिक हो गए / परिणामस्वरूप परस्पर विवाद होने दि 2) लगे। अव्यवस्था से व्यवस्था का जन्म होता है। तत्कालीन मानव ने / उत्पन्न अभाव के संकट से उपजे विवाद को सुलझाने के लिए 9 र परस्पर साथ बैठना-उठना शुरू किया। लोग झुण्डों-समूहों-कबीलों l) में बंटकर रहने लगे। ये एक व्यक्ति को अपने कुल (कबीले) का ( 1) नेता चुन लेते थे। यह नेता कुलकर कहलाता था / कुलकर व्यवस्था के चलते हुए सातवें कुलकर हुए नाभिराज / उन तक पहुँचते" पहुंचते, कुलकर व्यवस्था निष्प्रभावी हो चली थी। इसके पीछे 4 कारण यह था कि कुलकर केवल पारस्परिक विवाद तो मिटा தலைலைலைலைலைைைத eestesgesoestetige Gees PM getoets
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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