________________ అఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఆ Geegeegeegemege प्रभु ऋषभदेव के हस्तिनापुर शुभागमन के समाचार जहाँ२) जहाँ पहुँचें वहाँ-वहाँ के लोग बरसाती नदी की भाँति उमंग व ( 2 उत्साह के साथ दौड़-दौड़कर दर्शनार्थ आने लगे। बाल, युवा, वृद्ध र सभी प्रभुदर्शन करने को लालायित थे। दूध पिलाती हुई माताएँ. र काम करते हुए कारीगर, खेती करते हुए कृषकगण, खेलते हुए 1) बालक सभी शीघ्र ही प्रभु चरणों में पहुंचने लगे। मनुष्य तो क्या जंगल में स्वतन्त्र विचरण करने वाले गाय, रे बैल, शेर, चीता, हाथी आदि पशु भी अपने- अपने स्वामी के साथ र प्रभु के दर्शनार्थ उपस्थित हो गये। जिसको जिस समय भी समाचार 5 प्राप्त हुआ, सभी अविलम्ब प्रभु के समीप पहुँच गये। दर्शनों की यह दुर्लभ घड़ी कौन.खो सकता था? "किन्तु अरे, यह क्या?" प्रभु के दर्शन करके सभी निश्चेष्ट व अवाक् थे। हमारे हृदय सम्राट तो मुण्डित सिर और नंगे पाँव राजचिह्नों व वस्त्राभूषणों से रहित राजमार्ग पर आगे बढ़ते जा रहे हैं। यह अनहोना दृश्य देखकर बहुत-से भावुक हृदयी लोगों की आँखों से श्रावण-भादवा ॐ बरसने लगा। आँखों से अश्रुधारा बहाते हुए वे परस्पर कह रहे थे "अहो! हमारे स्वामी के महल में ऐसी कौनसी अशुभ घटना घटित 6) हो गई?" अनाथों के नाथ, दीनदयालु प्रभु को इस अवस्था में देखकर म) कुछ समझदार लोग विनती करने लगे। ___"प्रभो! हमारे घर पधारो! प्रभो! हमारे घर पधारो।" / "आपकी कमजोर काया को हमारी अभागी आँखें देख 3. नहीं सकतीं / हे स्वामिन्! थोड़े दिन हमारे ऊपर कृपा करके हमारे * घर पधारकर विश्राम कीजिए।" toetse eest egestas