________________ Les deseosestes - वर्षीतप-आराधना विधि - 9929 इस तप का प्रारम्भ (चैत्र कृष्णा अष्टमी) के दिन उपवास के साथ किया जाता है। उपवास के पारणे में बियासना और फिर र उपवास ऐसे तेरह महीने ग्यारह दिनों तक निरन्तर तपस्या के बाद 5) वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन पारणा करके इस तप की पूर्णाहुति दो कि श्री वर्ष में की जाती है। इस महान तपस्या के उपलक्ष्य में संघ वात्सल्य देवगुरू की भक्ति तथा दूसरे अनेक धर्मकार्यों के साथ तप की प्रभावना की र जाती है। 6 वर्षीतप में निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए उपवास के नवकार की 20 माला प्रतिदिन 20 लोगस्स का ध्यान प्रतिदिन भगवान ऋषभदेव की 20 वन्दना मार (4) पारणे के दिन श्री ऋषभदेवनाथाय नमः' की 20 माला 6) (5) सचित-पानी का त्याग | प्रतिदिन रात्रि चौविहार सचित का त्याग (अचित होने के बाद ग्रहण कर सकते हैं) 0 (8) ब्रह्मचर्य पालन 4 (9) जमीकंद का त्याग 6 (10) उपवास के दिन स्नान नहीं करना (11) प्रतिदिन एक सामयिक और प्रतिक्रमण (आता हो तो) अवश्य र करना, नहीं तो दूसरे से ध्यानपूर्वक सुनना। (12) प्रत्येक महीने की सुदी 3 को 'ऋषभ-चरित्र' का वाचन c s s s o SO90-