________________ सोवागपुत्ते हरिएस साहू, जस्से इडि महाणुभागा॥ - उत्तराध्ययनसूत्र, 12/37 . 20. जहा पुण्णस्स कत्थति तहा तुच्छस्स कत्थति। जहा तुच्छस्स कत्थति तहा पुण्णस्स कत्थति // - आचारांग, सं. मधुकर मुनि, 1/2/6/102 21.अ. एक्का मणुस्सजाई रज्जुप्पत्तीइ दो कया उसभे। तिण्णेव सिप्पवणिए सावगधम्मम्मि चत्तारि // संजोग सोलसगं सत्त य वण्ण उ नव य अंतरिणो। एए दोवि विगप्पा ठवणा बंभस्स णायव्वा // पगई चउक्कगाणंतरे य ते हुंति सत्त वण्णा उ। . आणंतरेसु चरमो एण्णे खलु होइ णायव्वो।। अंबटुग्गनिसाया य अजोगवं मागहा य सूया य / खत्ता (य) विदेहाविय चंडाला नवमगा हुंति / / एगंतरिए इणमो अंबट्ठो चेव होइ उग्गो य। बिइयंतयरिअ निसाओ परासरं तं च पुण वेगे॥ , ' पडिलोमे सुद्दाई अजोगवं मागहो य सूओ अ। . एगंतरिए खत्ता वेदेहा चेव नायव्वा॥ बितियंतरे नियमा चण्डालो सोऽवि होइ णायव्वो। अणुलोमे पडिलोमे एवं एए भवे भेया॥ उग्गेणं खत्ताए सोवागो वेणवो विदेहेणं / अंबठ्ठीए सुद्दीय बुक्कसो जो निस्साएणं॥ . सूएण निसाईए कुक्करओ सोवि होइ णायव्वो। एसो बीओ भेओ चउव्विहो होइ णायव्वो ॥-आचारांगनियुक्ति, 19-27 21. ब. “एगा मणुस्सजाई गाहा (19-8) एत्थ उसभसामिस्स' पुन्वभवजम्मणअहिसेयचक्कवट्ठिरायाभिसेगाति, तत्थ जे . रायअस्सिता ते य खत्तिया जाया अणस्सिता गिवइणो जाया, जया अग्गी उप्पण्णो ततो य भगवऽस्सिता सिप्पिया वाणिगया जाया, तेहिं तेहिं सिप्पवाणिज्जेहिं वित्तिं विसंतीती वइस्सा उप्पन्ना, भगवए पव्वइए भरहे अभिसित्ते सागधम्मे उप्पण्णे बंभणा, अणस्सिता. (78)